mahadevi verma ka geet sangrah kya h¿
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महादेवी वर्मा स्वयं अपने गीतों के बारे में कहती हैं कि उनके गीत किसी पक्षी के समान हैं। जिस प्रकार एक पंक्षी आकाश में उड़ान भरता है लेकिन फिर भी धरती है जुड़ा रहता है उसी प्रकार कवि भी कल्पना के आकाश में उड़ता है लेकिन वह सदैव धरती से जुड़ा रहता है। वह आसमान में जाकर भी धरती पर लौट कर आता है उसी प्रकार कवि भी अपने जीवन के प्रति सचेत रहता है।
महादेवी वर्मा छायावादी युग के प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उनकी काव्य रचनाओं में रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, दीपशिखा, अग्निरेखा, प्रथम आयाम, सप्तपर्णा, यामा, आत्मिका, दीपगीत, नीलाम्बरा और सन्धिनी आदि शामिल हैं। महादेवी जी को संगीत का भी ज्ञान था इसलिए उनकी रचनाओं में नाद-सौंदर्य भी नज़र आता है। उनका काव्य गीत हो जाने के अधिक करीब महसूस होता है। पढ़ें उनके लिखे कुछ चुनिंदा गीत
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