mahadevi verma ki five story's ka summary with introduction
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gillu lesson summary;
इस प्रस्तुत पाठ में एक चंचल तथा तेज गति से दौड़ने वाली जीव जो गिलहरी है, उससे लेखिका के अद्भुत प्रेम का परिचय मिलता है। गिलहरी का एक छोटा-सा बच्चा शायद घोंसले से गिर गया है जिस पर नासमझ कौए टूट पड़े हैं। कौए उसके शरीर में अपना आहार ढूँढ़ने की चेष्टा में हैं। लेखिका की दृष्टि अनायास उस नवजात बच्चे पर पड़ी, जिसे वह बचाने का पूरा प्रयास करने लगीं। लेखिका ने ध्यान से उस नवजात गिलहरी को देखा तो कौए की चोंच के दो निशान मिले। यदि लेखिका उसका उपचार सही ढंग से नहीं करती तो शायद गिलहरी का यह बच्चा जीवित नहीं रहता।
लेखिका उस गिलहरी को जिंदा रखने के लिए रुई की पतली बत्ती को दूध में भिगोकर उसके मुँह में दूध डालने लगी। पहले वह जीव मरने के समान दिख रहा था लेकिन लेखिका की सेवा से वह धीरे-धीरे स्वस्थ हो गया। लगभग तीन दिन होते-होते वह जीव अपने पंजे हिलाने की स्थिति में आ गया और लेखिका की उँगली अपने पंजे से पकड़ने लगा।
लेखिका ने उसे एक डलिया में रखना शुरू किया। लेखिका ने उस गिलहरी की देखभाल इतनी अच्छे से की कि वह गिलहरी अब दो वर्ष का हो गया। लेखिका ने उस गिलहरी का नाम ‘गिल्लू’ रखा जो उनके पैरों पर चढ़ जाता था और सर से उतरकर भाग भी जाता था। गिल्लू अपनी चमकीली आँखों से लेखिका द्वारा किए गए सभी कामों को भी देखा करता था।
लेखिका यह बताना चाहती हैं कि छोटे से छोटे जीव भी मनुष्य के व्यवहार को अच्छी तरह से समझता है। लेखिका के घर से बाहर जाती तो गिल्लू भी दिन भर खिड़की की जाली से बाहर चला जाता लेकिन जैसे ही लेखिका घर आतीं, वह भी घर चला आता और लेखिका से अपना स्नेह जतलाने लगता। वह अब लेखिका के साथ खाना खाने भी चला आता है। लेखिका ने बहुत ही कठिनाई से उसे मेज़ पर रखी भोजन की थाली के पास बैठना सिखाया, इसका भी यहाँ वर्णन किया गया है। उस छोटे से जीव का सबसे प्रिय भोजन काजू था।
लेखिका के बीमार होने पर गिल्लू लेखिका के सिरहाने बैठकर अपने पंजे को हलका-हलका उनके सिर फेरता जिससे लेखिका को ऐसा लगता कि मानो कोई सेविका यह काम कर रही हो।
गिल्लू भी अपनी स्वाभाविक मौत से मरा था। किंतु उसके मरने से कुछ समय पहले लेखिका ने हीटर जलाकर उसके बदन को सेंका। उसमें गर्मी पैदा करने की कोशिश की, लेकिन लेखिका उस प्यारे गिल्लू को बचा नहीं पाईं। सोनजुही की लता के नीचे मिट्टी में ही गिल्लू की समाधि बना दी। उसे सोनजुही की लता काफ़ी पसंद था, इसलिए लेखिका ने उसे उसी सोनजुही की जड़ के नीचे चिरनिद्रा में सुला दिया। छोटे-से छोटे जीव के प्रति भी लेखिका का ममत्व एवं स्नेह इस कहानी से स्पष्ट होता है।