Hindi, asked by rishikagour1391, 1 month ago

Mahadevi verma ki pramukh kratiya kya h

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Answered by sravanisoumya24566
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महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनायें

महादेवी वर्मा

कहते हैं कि कवितायें और कहानियाँ समाज का आईना होती हैं, अर्थार्थ कविताओं और कहानियों का सृजन समाज में घटित घटनाओं के आधार पर ही होता है। शायद ही कोई ऐसा हो जिसने कभी कविताओं या कहानियों का मज़ा न लिया हो। भले ही हम कविताओं और कहानियों के गूढ़ अर्थ को समझने में असक्षम हों, परन्तु कहीं न कहीं ये रचनायें हमें जीवन का मूल मंत्र सिखा जाती हैं। हिंदी साहित्य के कई कवि और लेखक हुए हैं, परन्तु उनमें से कुछ ऐसे हैं जो अपनी अमिट छाप छोड़ गये हैं। हिंदी साहित्य जगत में ऐसा एक नाम है – श्रीमती महादेवी वर्मा।

महादेवी वर्मा

श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म २६ मार्च १९०७ में फर्रुखाबाद, उत्तरप्रदेश में हुआ था। वह एक कवियत्री होने के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी भी थी। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से संस्कृत में एम.ए की शिक्षा प्राप्त की थी। उन्हें १९७९ में साहित्य अकादमी फ़ेलोशिप और १९८२ में ज्ञानपीठ पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया था। इसके अलावा उन्हें १९५६ में पद्मभूषण और १९८८ में पद्मविभूषण अवार्ड से पुरस्कृत किया गया था। इनकी मृत्यु ११ सितम्बर १९८७ में इलाहाबाद उत्तरप्रदेश में हुई थी।

महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनायें

महादेवी वर्मा की कई रचनायें हैं जिन्हें आज भी पढ़कर एक अलग ही आनंद की अनुभूति होती है। इसका कारण ये है कि हम इनकी कृतियों से खुद को जोड़कर देख पाते हैं। इनकी रचनाओं में दुःख, संवेदना, ख़ुशी सभी भावों का मिश्रण सा मिलता है। इनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ हैं – निहार, नीरजा, रश्मि, दीपशिखा, अग्निरेखा, सांध्यगीत, दीपगीत, आत्मिका और नीलाम्बरा। सबसे पहले श्रीमती महादेवी वर्मा की रचनायें चाँद नामक पत्रिका में प्रकाशित की गयी थी।

महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनायेंश्रीमती महादेवी वर्मा की कृतियाँ ज्यादातर खड़ी बोली में ही हैं, जिसका उपयोग उन्होंने बड़ी कोमलता के साथ किया है। इनकी गणना प्रमुख कवियों में की जाती है। श्रीमती महादेवी वर्मा की कृति अग्निरेखा में उन्होंने एक दीपक के ज़रिये ही पूरी कविता का सार समझा दिया है। इसी प्रकार दीपशिखा में उन्होने प्रेम का व्याख्यान किया है। दीपशिखा में उन्होनें प्रेम में मिलन का भाव और इसी तरह विरह की पीड़ा को भी दर्शाया है।

नीरजा में श्रीमती महादेवी वर्मा ने बड़ी परिपक्वता से अपनी बात कही है। नीरजा एक संवेदनाओं से भरी हुई कृति है जिसमें अपने आराध्य के लिए ह्रदय की अधीरता और प्रसन्नता की व्याख्या की गयी है।

रश्मि काव्य में श्रीमती महादेवी वर्मा ने जीवन में आने वाले सुख-दुःख आदि पर रौशनी डाली है। सांध्य गीत में श्रीमती महादेवी वर्मा ने सुख-दुःख और मिलन –विरह के भावों को दर्शाया है।

एक अन्य रचना सप्तपर्णा में श्रीमती महादेवी वर्मा ने वेद, रामायण, कालिदास आदि की कृतियों के अंश लेकर उनका एक नया रूप प्रस्तुत किया है।

महादेवी वर्मा का बाल साहित्य

‘ठाकुरजी भोले हैं‘ और ‘आज खरीदेंगे हम ज्वाला‘ उनकी बाल साहित्य की रचनायें हैं। इन दोनों ही रचनाओं में इन्होने बाल मन की चंचलता और भोलेपन को दर्शाया है।

ऊपर दिया गया श्रीमती महादेवी वर्मा की कृतियों का व्याख्यान केवल अंश मात्र है जिसे शब्दों में समेटा नही जा सकता। इनकी और भी कई ऐसी कृतियाँ हैं जो हमे जीवन में आने वाले सुख-दुःख से परिचय करवाती हैं एवं आंतरिक शक्ति की अनुभूति भी करवाती हैं।

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