महल में दाई मां अरावली पहाड़ बन कर बैठ गई अरावली पहाड़ तो तुम लोग बनास नदी बनकर बहू खूब नाचो गाओ यह आज कोई उत्सव का दिन नहीं था फिर भी उन्होंने कहा मेरे बनवाए हुए मयूर पक्ष कुंड में दीपदान करो मालूम हो जैसे मेघा पानी पानी हो गए हो और बिजली या टुकड़े-टुकड़े हो गई हो
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kuar udai singh ki cinta hai
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