India Languages, asked by gurjarsandeep164, 8 months ago

महल में धाय माँ अरावली पहाड़ बन कर बैठ गई है।
अरावली पहाड़ा (हँसती है) तो तुम लोग बनास नदी
बनकर बहो ना खूब नाचो, गाओ। यो आज कोई उत्सव
का दिन नहीं था, फिर भी उन्होंने कहा, मेरे बनवाए हुए
मयूर-पक्ष कुण्ड में दीपदान करो। मालूम हो, जैसे मेघ
पानी-पानी हो गये हों और बिजलियाँ टुकड़े-टुकड़े हो
गई हों।​

Answers

Answered by sunshinecoin786
2

Explanation:

) महल में धाय माँ अरावली पहाड़ बन कर बैठ गई है।

अरावली पहाड़ा (हँसती है) तो तुम लोग बनास नदी

बनकर बहो न। खूब नाचो, गाओ। यो आज कोई उत्सव

का दिन नहीं था, फिर भी उन्होंने कहा, मेरे बनवाए हुए

मयूर-पक्ष कुण्ड में दीपदान करो। मालूम हो, जैसे मेघ

पानी-पानी हो गये हों और बिजलियाँ टुकड़े-टुकड़े हो

गई हों।

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