महलवारी प्रणाली के तहत,किस को माल कहा जाता है?
Answers
Answer:
महालवाड़ी व्यवस्था स्थायी बन्दोबस्त और रैयतवाड़ी व्यवस्था के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा उत्तर प्रदेश ,पंजाब, मध्य प्रदेश में लागू किया गया। इस व्यवस्था में भूमि राजस्व बंदोबस्त कंपनी ने एक एक गांव को महल मन कर गांव के मुखिया साथ किया। यह भू राजस्व भारत के 30% भूभाग पर लागू किया गया
गांव के मुखिया को लम्बदार कहा जाता था जिसका कार्य गांव से लगान वसूल कर कंपनी को देना था। गांव को महाल कहे जाने कारण इस व्यवस्था का नाम महालवाड़ी व्यवस्था पड़ा इस व्यवस्था की अवधारणा सर्वप्रथम होल्ड मैकेन्जी ने 1819 ईसवी में दिया। 1822 के रेग्यूलेशन के अनुसार कुल भूभाग का 95% निश्चित किया गया था तथा इसे वसूलने के अत्यधिक कठोरता बनाई गई थी। अतः यह व्यवस्था असफल रही। 1893 ईस्वी में मार्टिन बर्ड के देखरेख में उत्तर भारत में कई सुधारों के साथ महालवाड़ी व्यवस्था पुनः लागू हुई। मार्टिन बर्ड को उत्तर भारत में भूमि का व्यवस्था का प्रवर्तक माना जाता था। भूमि कर कुल उपज का 66% तय किया गया। यह व्यवस्था 30 वर्षों के लिए किया गया। इसे बाद में लॉर्ड डलहौजी द्वारा कम कर के 50% कर दिया गया। परंतु कर वास्तविक उपज के स्थान पर अनुमानित किया गया था। इससे किसानों को कोई राहत नहीं मिली। साथ ही लम्बदर अधिकांशत भूमि पर अधिकार में रख लेते थे। वह राजस्व वसूलने के लिए छोटे किसानों पर अत्याचार करता था।[1]