Mahan Bharat ka Nirman essay
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मैं अपना विजन सबके ऊपर थोपना नहीं चाहता हूं। मैं बस इतना कह रहा हूं कि हरेक इंसान चाहता है कि वह अच्छे तरीके से जीए, उसका जीवन सुंदर हो।
वो जैसे भी अपने जीवन को सुंदर बनाना चाहते हैं, वे बना पाएं। लोगों को उस तरीके से नहीं जीना है जिस तरीके से मैं चाहता हूं। लेकिन निश्चित रूप से हमारी आकांक्षाएं पश्चिमी माॅडल की नहीं होनी चाहिए, क्योंकि उनका वह टिकाउ नहीं होगा। पश्चिमी देश अपना प्रबंधन इस तरह से इसलिए संभाल पा रहे हैं, क्योंकि उनकी जनसंख्या एक निश्चित मात्रा में है। जमीन और आबादी का अनुपात भारत के मुकाबले अमेरिका का बिल्कुल अलग है। उदाहरण के रूप में, आज भारत में प्रति व्यक्ति पानी की औसत मात्रा जो उपलब्ध है वो 1947 में उपलब्ध पानी की औसत मात्रा का केवल 25 फीसदी है। आंकडे बताते हैं कि 2050 तक यह मात्रा घटकर 15 फीसदी रह जाएगी। इसलिए अच्छे और सुखी जीवन के लिए हमारी जो भी सोच है उसे बदलना होगा। हम यह सपना नहीं देख सकते कि हम दूसरे देशों की तरह अपना विजन बनाएं, या उनकी तरह अपने देश को बनाएं। हमारी जो जरूरते हैं उनको ध्यान में रखते हुए हमें देश का विजन तय करना होगा। ऐसा विजन, जिसकी हमें जरुरत हो, और जो कारगर