Hindi, asked by jyotikolpe90, 10 months ago

mahan bhart ka nirman essay

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Answered by urimilabhardwaj
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भारतीय साहित्यिक परम्परा में ऐसे मनीषी हुए हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं को अपने परवर्ती साहित्यकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना दिया हैं. साहित्यिक विरासत का अर्थ है साहित्यकार द्वारा रचित ग्रंथ, उसकी भाषा शैली, उसका जीवन दर्शन उसके द्वारा प्रतिपादित आदर्श आदि.

महाभारत का निर्माण- महाभारत नामक महाकाव्य के रचयिता वेदव्यास थे. वेदव्यास कृष्ण द्वैपायन के नाम से भी जाने जाते थे. महाभारत के विकास के सम्बन्ध में तीन अवस्थाओं का उल्लेख मिलता हैं. ये तीन अवस्थाएँ हैं जय, भारत और महाभारत. वर्तमान में महाभारत में एक लाख श्लोक हैं इसलिए इस ग्रंथ को शतसहस्त्री संहिता के नाम से भी पुकारा जाता हैं.

महाभारत महाकाव्य सांस्कृतिक एवं साहित्यिक दोनों दृष्टियों से अपना विशिष्ट महत्व रखता हैं. महाभारत में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का अत्यधिक सुंदर वर्णन प्राप्त होता हैं.

महाभारत भारतीय ज्ञान का विश्वकोश– वर्तमान रूप में महाभारत धार्मिक एवं लौकिक भारतीय ज्ञान का विश्वकोश हैं. इस ग्रंथ की समग्रता के सम्बन्ध में कहा गया हैं इस ग्रंथ में जो कुछ है वह अन्यत्र भी हैं. परन्तु जो कुछ इसमें नहीं हैं वह अन्यत्र कहीं भी नहीं है. इसे पंचम वेद भी कहा जाता हैं.

आदि पर्व में महाभारत को केवल इतिहास ही नहीं, बल्कि धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र, नीतिशास्त्र तथा मोक्षशास्त्र भी कहा गया हैं. कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध के मूल कथानक के अतिरिक्त इस ग्रंथ में अनेक प्राचीन आख्यान जुड़े हुए हैं. इनमें शकुंतला उपाख्यान, सावित्री उपाख्यान व नलोपाख्यान, रामोपाख्यान, शिव उपाख्यान प्रमुख हैं.

महाभारत एक श्रेष्ठ धर्मशास्त्र भी है, जिसमें पारिवारिक तथा सामाजिक जीवन के नियमों तथा धर्म की विस्तृत व्याख्या दी हैं. शान्ति पर्व में राजधर्म, आपद धर्म तथा मोक्ष धर्म का विवेचन हैं. इसमें श्रीमद्भागवतगीता, सनत्सुजात, अनुगीता, पराशरगीता, मोक्ष धर्म आदि महत्वपूर्ण अंश संकलित हैं. महाभारत नीतिशास्त्र का भी एक महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं. संजयनीति, भीष्मनीति, विदुर नीति आदि का महाभारत में समावेश हैं.

महाभारत में नीतिबोध– महाभारत में जगह जगह नीति का उपदेश हैं. भीष्म का राजनीति तथा धर्म के विभिन्न पक्षों पर शांति पर्व में लम्बा प्रवचन हैं. सभापर्व में नारद का राजनीति विषय पर प्रवचन हैं. विदुर नीति महाभारत का महत्वपूर्ण अंश हैं.

जीवन के मूल्यों के सम्बन्ध में महाभारत का संदेश- महाभारत में सांसारिक सुख तथा मोक्ष के आदर्शों के बीच समन्वय किया गया. फलस्वरूप धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष चार पुरुषार्थों की मानव जीवन के ध्येय के रूप में प्रतिष्ठा हुई. महाभारत का रचयिता अर्थ और काम की स्वाभाविक इच्छाओं को तब तक बुरा नहीं मानता जब तक वे धर्म की मर्यादा का उल्लंघन न करें. इस प्रकार वह धर्म की सर्वोच्चता का आदर्श प्रस्तुत करता हैं.

देशभक्ति एचएएस भारत में दुनिया की सबसे अधिक भीड़ वाले नियम प्रणाली की एक बड़ी शक्ति बन गई है। भारत को एक बार एक महान हिंदू मानव उन्नति के रूप में दर्शाती है, जिसका व्यक्तित्व और शक्ति विघटित हो गया था - प्रगतिशील मुस्लिम हमलों से सबसे पहले जो मुगल डोमेन (1526-1857) की नींव में समाप्त हुआ ), और उस बिंदु से, 1947 तक, अंग्रेजी साम्राज्यवाद द्वारा। एक हजार साल से भी अधिक समय तक, भाजपा के कहने पर, कई हिंदुओं को धार्मिक रूप से बदल दिया गया, या प्राप्त करने में, इस्लाम और ईसाई धर्म में छल किया गया। अंग्रेजी बौद्धिक अभिजात वर्ग की सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली भाषा में बदल गई। सभ्यता के आत्म-आश्वासन ने कमियों और अपर्याप्तता की भावनाओं के लिए दृष्टिकोण की पेशकश की - या इसलिए हिंदू देशभक्तों की कहानी।

भारतीय अग्रदूत प्राथमिक प्रमुख प्रशासक, जवाहरलाल नेहरू, देशभक्तों के प्रमुख मॉडल बने हुए हैं और विद्वानों का वर्ग पश्चिमी विचारों और प्रतिष्ठानों के लिए रोमांचित रहा। हिंदू देशभक्त स्वीकार करते हैं कि भारत आर्थिक और सैन्य रूप से प्रगति करके केवल अपनी विशालता को प्राप्त कर सकता है, जबकि अतीत, विशेष रूप से प्रेरणा, गौरव, चरित्र और राजनीतिक मानकों के लिए हिंदू मानव उन्नति। इतिहास, धर्म और अधिवेशन से कटे हुए एडवांस, उनकी नज़र में, परित्याग और आवास के लिए एक सूत्र है, न कि प्रतिभा। भाजपा प्रसारण करती है कि नवाचार और सम्मेलन में शामिल होने वाला इसका मिश्रण, भारत को एक बार फिर अविश्वसनीय बना देगा ।

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