Hindi, asked by sukhbirgupta8, 11 months ago

mahanagro main mahilaon ki suraksha par nibandh likhiye​

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Answered by masterAryanDixit
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Answer:

यह बात तो सौ प्रतिशत सच है कि भारतीय समाज में महिला को देवी लक्ष्मी के सामान पूजा जाता है। पर महिलाओं के प्रति नकारात्मक पहलू को भी नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। भारत में गुजरते एक एक पल में महिला का हर स्वरुप शोषित हो रहा है फिर चाहे वो माँ हो, बेटी हो, बहन हो, पत्नी हो या 5-7 साल की छोटी बच्ची ही क्यों न हो। हर जगह नाबालिग लड़कियों से छेड़छाड़ की जा रही है। उन्हें परेशान किया जा रहा है। राह चलते फब्तियां कसी जा रही है। सड़के, सार्वजनिक स्थल, रेल, बस आदि असामाजिक तत्वों के अड्डे बन गए है।

स्कूल तथा कॉलेज जाने वाली छात्रायें भय के साये में जी रही है। जब भी वे घर से बाहर निकलती है तो सिर से लेकर पैर तक ढकने वाले कपडे पहनने को मजबूर है। इससे भी अजीब बात तो यह है की कई जगहों पर ऐसा भी देखा गया है माँ-बाप पैसे के लालच में अपनी ही बेटी को वैश्यावृति के नरक में धकेल देते है। राह चलती लड़की पर तेज़ाब फेंकना और शारीरिक संबंध की इच्छा को पूरा करने के लिए किसी का भी अपहरण करना आम बात हो गई है। आंकड़ो के अनुसार भारत में हर 20 मिनट में एक औरत से बलात्कार होता है।

महानगरीय क्षेत्रों में तो और भी बुरे हालात है। बलात्कार के आरोपी कई बार जान पहचान यहाँ तक घर का ही कोई सदस्य निकलता है। दहेज़ के लिए जलाया जाना, सास-ससुर द्वारा पीटा जाना जैसी घटनाएँ तो रोज़ की बात हो गई है। निर्भय सामूहिक बलात्कार केस जिसने पूरे देश को झकझोर के रख दिया उसे कौन भूल सकता है। महिलाओं की संख्या देश की कुल जनसंख्या की आधी है। इसका मतलब वे देश के विकास में भी आधी भागीदार है। उसके बावजूद 21वीं सदी में हिंदुस्तान में ऐसी घटनाओं का होना हमारी संस्कृति को केवल शर्मसार ही करता है।

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Answered by bharattiwariepatrika
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                                       महानगरों में महिलाओं की सुरक्षा

महिलाओं की सुरक्षा अपने आप में ही बहुत विस्तृत विषय है। पिछले कुछ सालों में महिलाओं के प्रति बढ़ते अत्याचारों को देखकर हम यह तो बिलकुल नहीं कह सकते की हमारे देश में महिला पूर्ण तरीके से सुरक्षित है। विशेषकर महानगरों में, जहां खुलेआम महिलाओं के साथ अभद्रता की जाती है और रक्षक समझी जाने वाली पुलिस तमाश देखती रह जाती है। महानगरों में महिलाएं अपने आपको असुरक्षित महसूस करती है खास तौर पर अगर उन्हें अकेले बाहर जाना हो तो। यह वाकई हमारे लिए शर्मनाक है की हमारे देश में महिलाओं को भय में जीना पड़ रहा है। हर परिवार के लिए उनकी महिला सदस्यों की सुरक्षा चिंता का मुद्दा बन चुका है। अगर महिला सुरक्षा में कुछ सुधार करने हो तो नीचे कुछ तथ्य दिए है जिन्हें ध्यान में रखते हुए हम समाज में बड़ा बदलाव ला सकते है:-

महिला सुरक्षा से जुड़े कुछ सुझाव

सबसे पहले हर महिला को आत्म-रक्षा करने की तकनीक सिखानी होगी तथा उनके मनोबल को भी ऊँचा करने की जरुरत है। इससे महिलाओं को विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में किसी तरह की परेशानी महसूस नही होगी। अक्सर ऐसा देखा गया कि महिलाएं स्थिति की गंभीरता को किसी भी पुरुष की बजाए जल्दी भांप लेती है। अगर उन्हें किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका लगती है तो उन्हें जल्द ही कोई ठोस कदम उठा लेना चाहिए। महिलाओं को किसी भी अनजान पुरुष के साथ अकेले नहीं जाना चाहिए। महिलाओं को कभी भी अपने आप को पुरुषों से कम नही समझना चाहिए फिर चाहे वह मानसिक क्षमता की बात हो या फिर शारीरिक बल की बात हो। महिलाओं को इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि वे इंटरनेट या किसी भी अन्य माध्यम के द्वारा किसी भी तरह के अनजान व्यक्ति से बातचीत करते वक्त सावधान रहे और उन्हें अपना किसी भी तरह का निजी विवरण न दे। महिलाओं को घर से बाहर जाते वक़्त हमेशा अपने साथ मिर्च स्प्रे करने का यंत्र रखना चाहिए। हालाँकि ऐसा जरुरी भी नहीं की इसी पर पूरी तरह निर्भर रहें वे किसी और विकल्प का भी इस्तेमाल कर सकती है। किसी भी अनजान शहर के होटल या अन्य जगह रुकना हो तो वहाँ के स्टाफ के लोगों तथा बाकी चीज़ो की सुरक्षा को पहले ही सुनिश्चित कर ले।

निष्कर्ष

महिला सुरक्षा एक सामाजिक मसला है, इसे जल्द से जल्द सुलझाने की जरुरत है। महिलाएं देश की लगभग आधी जनसँख्या है जो शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक रूप से पीड़ित है। यह देश के विकास तथा तरक़्क़ी में बाधा बन रहा है।

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