Hindi, asked by sukhbirgupta8, 1 year ago

mahanagro main mahilaon ki suraksha par nibandh likhiye
....... ............ .......... .....
please answer in long I will make you a brainlist​

Answers

Answered by Anonymous
35

Answer:

भारतीय समाज में महिलाओं को देवी लक्ष्मी का स्थान दिया जाता है। भारतीय महिलाएं सभी क्षेत्रों में काम कर रही हैं, जैसे कि वैमानिकी, अंतरिक्ष, राजनीति, बैंक, स्कूल, खेल, व्यवसाय, सेना, पुलिस, और कई अन्य। हम यह नहीं कह सकते हैं कि इस देश की कोई भी महिला चिंता नहीं है लेकिन हम भारत में महिलाओं के लिए सकारात्मक बिंदुओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।

यदि हमें अपना इतिहास याद है, तो हमने पाया कि पांचाली प्रथा थी जिसमें एक अकेली महिला (द्रौपदी) को पांच पुरुषों (पांडवों) से शादी करने की अनुमति थी। यह सब कुछ था जो हम अपनी खुली आँखों से देखते हैं लेकिन अगर हम पर्दे के पीछे देखते हैं तो हम महिलाओं के खिलाफ घर, दफ्तरों, सड़कों आदि पर होने वाले सभी अपराधों को देखेंगे। भारत में महिलाओं के खिलाफ पिछले कुछ अपराधों जैसे बलात्कार के मामलों, एसिड हमलों, आदि, महिलाओं की सुरक्षा संदेह में रही है।

Answered by jayathakur3939
33

प्राचीन समय में महीलाओं की स्थिति  

प्राचीन भारत में महिलाओं का स्थान काफी महत्वपूर्ण था | नारी को शक्ति का स्वरूप माना जाता था और अपनी शक्तियों के कारण ही वेदों और उपनिषदों के काल में स्त्रियों का आदर और सम्मान देवी के समान किया जाता था | उनको पूजा जाता था | ऐसी मान्यता थी कि जहां स्त्रियों की पूजा की जाती है वहां सभी प्रकार के देवी – देवता निवास करते है | नारी को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त थी और परिवार में उनका पद अत्यंत प्रतिष्ठापूर्ण था | उस समय नारी का पूर्ण रूप से  व्यापार, व्यावसाय और शिक्षा जैसे पुरुष एकाधिकार के क्षेत्र में हर तरह से उनका प्रवेश था | नारी की शक्ति प्राचीन भारत में हर रूप में प्रकट होती थी |

मध्यकाल में भारतीय महिलाओं की स्थिति

मध्यकालीन भारतीय समाज की बदलती हुई परिस्तिथियों में न केवल समाज का ढ़ाचा बदला अपितु नारी की उलझनों को भी बढ़ाया | उसकी जीवन पद्धति, उसके जीवन मूल्य, उसकी मनस्थिति को तीव्रता से बदल डाला | मध्यकाल में समाज की छोटी विचारधारा ने नारी के सारे अधिकार छीन लिए | जो नारियां प्राचीन काल में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती थी, मध्यकाल में उन्हें केवल घर की चारदीवारी तक ही सिमित कर दिया गया | भारत में एक स्त्री का कदम – कदम पर होने वाला शोषण एक भयानक सच्चाई थी | इससे बचने के लिए पर्दाप्रथा ने जन्म लिया जो की उस समय की आवश्यकता थी | और बाल विवाह प्रथा भी इसी तरह की कुरूति की उपज थी |

शहरों में महिलाओं की स्थिति  

सुरक्षा के लिहाज से शहर सबसे असुरक्षित शहर है | एक नए सर्वेक्षण के अनुसार छुट्टियों में घूमने-फिरने या काम के लिए बाहर निकलने के लिहाज से दिल्ली को सबसे असुरक्षित महानगर माना गया है | शहर में महिलाओं के साथ अपराध की घटनाएं बढ़ती ही जा रही है। छेड़खानी और लूट की घटनाओं के बीच दुराचार के भी मामलों में इजाफा हुआ है । खास बात यह है कि महिलाओं के साथ हो रहे अपराध के प्रति थाना स्तर पर सुनवाई ही नहीं हो रही । यही कारण है कि उन्हें अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए उच्चाधिकारियों से गुजारशि करनी पड़ रही है । दिल्ली पुलिस द्वारा जारी सालाना आंकड़ों ने एक बात साफ कर दी है कि महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित है तो घर या जानपहचान वालों से । महिलाओं से दुष्कर्म के मामलों में  कुछ लोग ही ऐसे है जो पीडि़ता से अनजान है । कार्यस्थल पर दुष्कर्म की भी गंभीरता कम नहीं हो जाती ।  

कार्यस्थल पर दुष्कर्म की भी गंभीरता कम नहीं हो जाती। प्राचीन समय में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता था लेकिन आज के समय में उनसे दुरव्यवहार किया जाता है । हर रोज महिलाओं से होने वाले अत्याचार के किस्से सामने आ रहे हैं। पिछले दस सालों में बलात्कार के किस्से बढ़ गए हैं और पुरूष दारू आदि पीकर महिलाओं से अभद्र व्यवहार करते हैं जिसकी वजह से आज महिलाओं की सुरक्षा की जरूरत पड़ी है।  

महिलाओं को आत्म रक्षा के तौर तरीके  

महिलाओं को आत्म रक्षा के तौर तरीके सिखाए जाने चाहिए और उन्हें अत्याचार के खिलाफ भी आवाज उठानी चाहिए । महिलाएँ अगर आत्म रक्षा में किसी की हत्या भी कर दे तो कानुन में वह भी क्षम्य है । महिलाएँ जिस भी टैक्सी में बैठे उन्हें उसकी गति और रास्ते पर ध्यान रखना चाहिए और टैक्सी का नंबर भी नोट करना चाहिए । महिलाओं को अपने पास मिर्ची का स्परे भी रखना चाहिए । महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सख्त से सख्त कानुन बनाए जाने चाहिए और उनसे अत्याचार करने वालों को सख्त सजा दी जानी चाहिए । महिलाओं को भी चाहिए कि वह भावनाओं में बह कर यूहीं किसी पर भी भरोसा न करें। उन्हें उनकी हिफाजत के लिए बनाए गए कानुन और नियमों की जानकारी रखनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर उनका प्रयोग करना चाहिए |

महापुरुषों एवं राजनीतिज्ञों  का योगदान  

महापुरुषों एवं राजनीतिज्ञों द्वारा हर संभव किया गया प्रयास है | राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा को कानून द्वारा बंद कराया | महर्षि दयानन्द ने बाल विवाह पर रोक लगवायी तथा पुरुषों की भांति महिलाओं को भी एक समान अधिकार दिए जाने पर बल दिया | गाँधी जी ने भी स्त्रियों की दशा को सुधारने के लिए जीवन भर कार्य किये |  

नारी  की वर्तमान स्थिति

वर्तमान स्थिति में नारी ने जो साहस का परिचय दिया है, वह आश्चर्यजनक है | आज नारी की भागीदारी के बिना कोई भी काम पूर्ण नहीं माना जा रहा है | आज के समय में आई. पी. एस. अधिकारी डॉक्टर, वकील, जज, राजनीतिज्ञ सभी कार्यालयों एवं दफ्तरों में नारियां पदासीन हैं | भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नारियों ने बढ़ – चढ़ कर हिस्सा लिया | आधुनिक युग में नारियों को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त हैं |

समाज के हर क्षेत्र में उसका प्रवेश हो चुका है | आज तो कई ऐसे प्रतिष्ठान एवं संस्थाएँ हैं, जिन्हें केवल नारी संचालित करती है या ये कहे कि स्वतंत्रत भारत में आज नारी के लिए प्रगति के सभी अवसर खुले हुए हैं | वर्तमान नारी की सफलता के आँकड़ो का वर्णन करें तो शायद उसे समेट पाना सम्भव नहीं होगा |

कानून एवं उत्तराधिकार

महिला उत्थान के लिए अनेक प्रकार के कानून एवं उत्तराधिकार नियम लागू किये गये हैं जिसमें शारदा एक्ट मुख्य है | इस नियम के द्वारा स्त्रियों की दशा को सुधारने का हर सम्भव प्रयास दिया गया है | उन्हें पुरुषों समान स्वतंत्रता प्रदान की गयी है ,  आज वे भी पुरुषों के भांति कहीं भी जा सकती हैं , घूम सकती हैं , बैठ सकती हैं तथा अपनी योग्यतानुसार किसी भी पद पर कार्य कर सकती हैं | पिता की संपत्ति में पुत्रों की भांति पुत्रियों को भी संपत्ति में समान रूप से हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार हैं |

कभी नारी बेचारी बना दी गई तो कभी पुरुषों का अन्याय सहना ही उसका भाग्य बन गया | लेकिन जब भी भारतीय नारी को मौका दिया गया उसने यह बता दिया कि नारी न हारी है और न ही बेचारी है | सच तो यह है कि संकल्प कर लेने वाली हर नारी पुरुष पर भी भारी है |

Similar questions