महतं और अपने भाई हरिहर काका को एक जैसे क्यों लगने लगते हैं? हरिहर काका' कहानी के
आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
अंसर बाता डो ये मै क्वेश्चन लेटर हैं । ओर मै टोमररोअर एक्जाम हैं । प्लीज़ तेल मै । ओके......... जलदी बता दू ।।।।
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हरिहर काका को अपने भाइयों और महंत में कोई अतंर नहीं लगा। उनके भाइयों की पत्नियों ने कुछ दिन तक तो हरिहर काका का ध्यान रखा फिर बचीकुची रोटियाँ दी, नाश्ता नहीं देते थे। बिमारी में कोई पूछने वाला भी न था। जितना भी उन्हें रखा जा रहा था, उनकी ज़मीन के लिए था। इसी तरह मंहत ने एक दिन तो बड़े प्यार से खातिर की फिर ज़मीन अपने ठाकुर बाड़ी के नाम करने के लिए कहने लगे। काका के मना करने पर उन्हें अनेकों यातनाएँ दी। अपहरण करवाया, मुँह में कपड़ा ठूँस कर एक कोठरी में बंद कर दिया, जबरदस्ती अँगूठे का निशान लिया गया तथा उन्हें मारा पीटा गया। इस तरह दोनों ही केवल ज़मीन जायदाद के लिए हरिहर काका से व्यवहार रखते थे। अत: हरिहर काका को महतं और अपने भाई हरिहर काका को एक जैसे लगने लगे ।
hope it helps.
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