Hindi, asked by DARKSOULO1, 1 year ago

महतमा हंसराज पर निबंध​

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Answered by krrish0018
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महात्मा हंसराज (अंग्रेज़ी: Mahatma Hansraj, जन्म- 19 अप्रैल, 1864, पंजाब; मृत्यु- 15 नवम्बर, 1938, लाहौर) पंजाब के प्रसिद्ध आर्य समाजी नेता, समाज सुधारक और शिक्षाविद थे। उनके महत्त्वपूर्ण योगदान और प्रयासों के फलस्वरूप ही देशभर में डी.ए.वी. के नाम से 750 से भी अधिक विद्यालय व महाविद्यालय गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। हंसराज जी स्वामी दयानन्द सरस्वती के विचारों से बहुत अधिक प्रभावित थे। वे जातिवाद के प्रबल विरोधकर्ता थे।

महात्मा हंसराज का जन्म 19 अप्रैल, 1864 ई. को होशियारपुर ज़िला, पंजाब के बजवारा नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता चुन्नीलाल जी साधारण परिवार से सम्बन्ध रखते थे। हंसराज जी का बचपन अभावों में व्यतीत हुआ था। वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। केवल 12 वर्ष की उम्र में ही इनके पिता का देहांत हो गया। हंसराज जी की आंरभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल से ही प्रारम्भ हुई थी। डिग्री की शिक्षा उन्होंने 'गवर्नमेंट कॉलेज', लाहौर से पूरी की।

सन 1885 में जब वे लाहौर में अपने बड़े भाई मुल्कराज के यहाँ रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, उसी समय लाहौर में स्वामी दयानन्द सरस्वती के सत्संग में जाने का अवसर इन्हें मिला। स्वामी दयानन्द के प्रवचन का युवक हंसराज पर बहुत प्रभाव पड़ा। अब उन्होंने समाज सेवा को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। हंसराज जी आवश्यक कार्यों से बचा सारा समय मोहल्ले के ग़रीब तथा अनपढ़ लोगों की चिट्ठी-पत्री पढ़ने और लिखने में ही लगा देते थे।

Answered by Krish123489
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महात्मा हंसराज (अंग्रेज़ी: Mahatma Hansraj, जन्म- 19 अप्रैल, 1864, पंजाब; मृत्यु- 15 नवम्बर, 1938, लाहौर) पंजाब के प्रसिद्ध आर्य समाजी नेता, समाज सुधारक और शिक्षाविद थे। उनके महत्त्वपूर्ण योगदान और प्रयासों के फलस्वरूप ही देशभर में डी.ए.वी. के नाम से 750 से भी अधिक विद्यालय व महाविद्यालय गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। हंसराज जी स्वामी दयानन्द सरस्वती के विचारों से बहुत अधिक प्रभावित थे। वे जातिवाद के प्रबल विरोधकर्ता थे।

महात्मा हंसराज का जन्म 19 अप्रैल, 1864 ई. को होशियारपुर ज़िला, पंजाब के बजवारा नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता चुन्नीलाल जी साधारण परिवार से सम्बन्ध रखते थे। हंसराज जी का बचपन अभावों में व्यतीत हुआ था। वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। केवल 12 वर्ष की उम्र में ही इनके पिता का देहांत हो गया। हंसराज जी की आंरभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल से ही प्रारम्भ हुई थी। डिग्री की शिक्षा उन्होंने 'गवर्नमेंट कॉलेज', लाहौर से पूरी की।

सन 1885 में जब वे लाहौर में अपने बड़े भाई मुल्कराज के यहाँ रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, उसी समय लाहौर में स्वामी दयानन्द सरस्वती के सत्संग में जाने का अवसर इन्हें मिला। स्वामी दयानन्द के प्रवचन का युवक हंसराज पर बहुत प्रभाव पड़ा। अब उन्होंने समाज सेवा को ही

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