Hindi, asked by himansu7445, 11 months ago

Mahatma gandhi a sukhi ane smrudh navbharat mate shu bodh aapyo che?

Answers

Answered by AbsorbingMan
91

महात्मा गाँधी ने सुखी और समृद्ध के लिए कहा है की  

परोपकार से बढ़कर कोई सेवा नहीं

मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं  

विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए

अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के समान है

ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो

एक सभ्य घर के बराबर कोई विद्यालय नहीं है  

हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है

किसी चीज में यकीन करना और उसे ना जीना बेईमानी है

कोई त्रुटी तर्क-वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकती

Answered by Anonymous
26
महात्मा गाँधी ने सुखी और समृद्ध के लिए कहा है की  

परोपकार से बढ़कर कोई सेवा नहीं

मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं  

विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए

अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के समान है

ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो

एक सभ्य घर के बराबर कोई विद्यालय नहीं है  

हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है

किसी चीज में यकीन करना और उसे ना जीना बेईमानी है

कोई त्रुटी तर्क-वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकती

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