Mahatma gandhi dwara rachit chori aur prayschit nibandh ka saransh likhiye.
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चोरी और प्रायश्चित / सत्य के प्रयोग / महात्मा गांधी माँसाहार के समय के और उससे पहले के कुछ दोषों का वर्णन अभी रह गया हैं। ... पर बीड़ी के ये ठूँठ हर समय निल नहीं सकते थे , औऱ उनमें से बहुत धुआँ भी नहीं निकलता था। इसलिए नौकर की जेब में पड़े दो-चार पैसों में से हम ने एकाध पैसा चुराने की आदत डाली और हम बीड़ी खरीदने लगे।
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