Hindi, asked by dikshagarg8, 1 year ago

Mahila sashaktikaran anuched in Hindi

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Answered by TheBrainliestUser
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महिला सशक्तिकरण

सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ काम करने वाली महिलाओं के रूप में, उन्हें घर या कार्यस्थल पर एक स्वतंत्र दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। अब वे जीवन पर नियंत्रण प्राप्त कर रहे हैं और अपने करियर, पेशे और जीवन शैली के संबंध में निर्णय ले रहे हैं।
बढ़ती संख्या के साथ। कामकाजी महिलाओं के लिए, उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता मिल रही है, और इससे उन्हें अपने जीवन को अपने अनुसार जीने का विश्वास मिलता है। लेकिन ऐसा करने से, महिलाएं अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के बीच संतुलन का भी ध्यान रख रही हैं। वे उल्लेखनीय सामंजस्य के साथ माँ, बेटी, बहन, पत्नी आदि की कई भूमिकाएँ निभा रहे हैं। समान अवसर के साथ, वे एक दूसरे के कामों को पूरा करने के लिए अपने पुरुष समकक्षों के साथ सहयोग कर रहे हैं।
महिला सशक्तीकरण की सीमा केवल शहरी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं भी समाज में अपनी उपस्थिति को परिभाषित कर रही हैं। अपनी शैक्षिक और सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि के बावजूद वे अपनी उपस्थिति महसूस कर रही हैं। लेकिन उनमें से बहुत से भेदभाव, शोषण और उत्पीड़न का सामना करते हैं। और अक्सर बलात्कार, दुर्व्यवहार और बौद्धिक हिंसा प्राप्त करने के लिए अधीन होते हैं।
महिलाओं का सशक्तीकरण तभी प्राप्त होता है जब समाज के रवैये में बदलाव होगा, समाज के ग्रामीण क्षेत्र अभी भी शिक्षा, सामाजिक स्थिति और शादी के मामले में समान अवसर देने से इनकार कर रहे हैं।
Answered by Atlas99
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Explanation:

महिला सशक्तिकरण से तात्पर्य है महिलाओं को अपने लिए निर्णय लेने में सक्षम बनाने हेतु शक्तिशाली बनाना है। कई शताब्दियों पहले महिलाओं का अस्तित्व ना के बराबर था। लेकिन जैसे जैसे समय गुजरता गया महिलाओं को अपने अस्तित्व और शक्ति का एहसास हुआ। तभी से लेकर आज तक महिलाओं के समाजिक उत्थान के लिए आंदोलन किये जा रहे है। पहले महिलाओं को निर्णय लेने की अनुमति या खुले आकाश में उड़ने के सपने देखने तक की आज़ादी नहीं थी। हमारे देश में पुरुष शासित समाज की परंपरा सदियों से चली आ रही है। वहां पर महिलाओं को हमेशा उनपर निर्भर रहना पड़ता था। इसी वजह से आज महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा रहा है।

महिलाएं को सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर कई अत्याचारों का सामना करना पड़ता है। कई क्षेत्र में समान कार्य करने के बावजूद भी महिलाओं को पुरुषो के मुकाबले कम पैसे दिए जाते है। इस तरीके की भावना समाज में पुरुषो और महिलाओं के बीच असमानता की रेखा को खीचता है।

लेकिन आज भारत सरकार ने बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ जैसे कई मुहीम की शुरुआत की है ताकि लड़कियों की शिक्षा में कोई बाधा उतपन्न न हो। शहरी इलाको में महिलाएं ज़्यादा शिक्षित और रोजगार कर रही है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की अशिक्षा के कारण कृषि और अन्य क्षेत्रों में दैनिक मजदूरी करके जीवनयापन कर रही है। कई जगहों पर यह पाया गया है की योग्यता होने के बावजूद भी महिलाओं को पुरुषो की तुलना में कम आय दिया जाता है। जितना हक़ पुरुषो को दिया जाता है उतना हक़ महिलाओं को भी अवश्य दिया जाना चाहिए।

महिलाओं के सोच की कदर करना परिवार और समाज का दायित्व है। हर इंसान की सकराकत्मक सोच महिलाओं के उत्थान के संग एक नए दृश्टिकोण से भरे समाज का निर्माण करने में सक्षम रहेगी।

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