Mahilao par hone wale gharelu utpiden se sambhdit jach ke liye mahila ayog ko letter in hindi
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आए दिन हमारे समाज में महिलाओं के साथ हिंसा की खबरें आती रहती हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा के होते हैं. इन मामलों में महिलाओं के प्रति हिंसा देखने को मिलती है. आइए विस्तार से जानते हैं आखिर क्या है घरेलू हिंसा कानून.
आए दिन हमारे समाज में महिलाओं के साथ हिंसा की खबरें आती रहती हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा के होते हैं. इन मामलों में महिलाओं के प्रति हिंसा देखने को मिलती है. आइए विस्तार से जानते हैं आखिर क्या है घरेलू हिंसा कानून.
क्या होती है घरेलू हिंसा
किसी भी महिला के साथ घर की चारदिवारी के अंदर होने वाली किसी भी तरह की हिंसा, मारपीट, उत्पीड़न आदि के मामले इसी कानून के तहत आते हैं. यौन उत्पीड़न के मामलों में अलग कानून है लेकिन उसे इसके साथ जोड़ा जा सकता है. महिला को ताने देना, गाली देना, उसका अपमान करना, उसकी मर्जी के बिना उससे शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करना, जबरन शादी के लिए बाध्य करना आदि जैसे मामले भी घरेलू हिंसा के दायरे में आते हैं. पत्नी को नौकरी छोडऩे के लिए मजबूर करना, या फिर नौकरी करने से रोकना, दहेज की मांग के लिए मारपीट करना आदि भी इसके तहत आ सकते हैं.
क्या है घरेलू हिंसा अधिनियम
घरेलू हिंसा अधिनियम का निर्माण 2005 में किया गया और 26 अक्टूबर 2006 से इसे देश में लागू किया गया. इसका मकसद घरेलू रिश्तों में हिंसा झेल रहीं महिलाओं को तत्काल और आपातकालीन राहत पहुंचाना है. यह कानून महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाता है. केवल भारत में ही लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं किसी न किसी रूप में इसकी शिकार हैं. यह भारत में पहला ऐसा कानून है जो महिलाओं को अपने घर में रहने का अधिकार देता है. घरेलू हिंसा विरोधी कानून के तहत पत्नी या फिर बिना विवाह किसी पुरुष के साथ रह रही महिला मारपीट, यौन शोषण, आर्थिक शोषण या फिर अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल की परिस्थिति में कार्रवाई कर सकती है.
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आए दिन हमारे समाज में महिलाओं के साथ हिंसा की खबरें आती रहती हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा के होते हैं. इन मामलों में महिलाओं के प्रति हिंसा देखने को मिलती है. आइए विस्तार से जानते हैं आखिर क्या है घरेलू हिंसा कानून.
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