History, asked by gautamshreyas200007, 2 months ago

mahilaon ne apne hito ki Himayat kaise ki?

महिलाओं ने अपने हितों की हिमायत कैसे की?​

Answers

Answered by Aloneboi26
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Answer:

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Explanation:

Answer:

मैं मानती हूं कि महिला सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा और महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा, भारत को सवालों को घेरे में डालता है. ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब जल्द से जल्द निकालने होंगे. लेकिन इस तरह की रिपोर्ट या खबरों को लेकर मेरी कोई सहानभूति नहीं है, जिसमें कहा जाए कि कोई खास जगह कम खतरनाक है और कोई ज्यादा. मुझे नहीं लगता कि यह इस पूरे मसले को समझने का सही तरीका है. अगर हम कहते हैं कि किसी जगह पर कम बलात्कार हुए हैं इसलिए वह उस जगह से तो बेहतर हैं जहां ज्यादा बलात्कार हुए हैं, तब मैं मानती हूं कि ये पूरी बहस ही गलत हैं. क्योंकि बलात्कार का एक मामला भी उतना गलत है जितने अन्य. यह कही भी नहीं होना चाहिए.

मेरी दूसरी बात है कि जब आप इस तरह का कुछ कहते हैं तो उसी वक्त दक्षिणपंथी गुट कूद पड़ेंगे और कहेंगे, नहीं, हमारा भारत इतना बुरा नहीं है, यह पश्चिमी षड्यंत्र हैं. ऐसा कहना एकदम बकवास है. क्योंकि भारत में स्थितियां खराब है और अब ये हमें मानना होगा. असल में ये सवाल लोगों पर सीधे उत्तर देने के लिए दबाव बनाते हैं. मैं यह नहीं कह रही हूं कि इस सर्वे में कोई षड्यंत्र है, लेकिन मैं यह जरूर मानती हूं कि ऐसे सर्वे और पोल आपको कहीं न कहीं आपको आधी सच्चाई की तो चेतावनी जरूर देते हैं. लेकिन हमें इसे ही अंतिम सत्य नहीं मान लेना चाहिए. अगर आप थॉमसन रॉयटर्स को अंतिम सच मान लेंगे तो आप सोच सकते हैं कि कोई भी महिला देश में घर से बाहर नहीं निकलेगी. इसलिए मुझे लगता है कि ये रिपोर्ट हमें बताती है कि ये मुद्दे कितने गंभीर हैं.

Answered by Anonymous
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फ्रांसीसी क्रांति में महिलाओं की भूमिका

उस समय के समाज में महिलाओं तक षिक्षा तथा अच्छी नौकरियों की पहुंच नहीं थी। महिलाएं लांड्री, फूल बेचने, फल व सब्जियां बेचने का काम करती थीं या फिर धनी लोगों के घर में घरेलू कार्य के लिए सेविकाओं के रुप में काम करती थी। उन्हें पुरुषों के मुकाबले कम वेतन प्राप्त होता था। ष्ुारुआती दौर में महिलाओं ने क्रांति में यह सोचकर भाग लिया कि क्रांति में सहभागिता के कारण उन्हें पुरुषों के बराबर अधिकार मिल सकेंगे। किंतु नए संविधान में महिलाओं को मूलभ्ूात अधिकार तो मिलना दूर मत देने का अधिकार भी नहीं मिला। महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए राजनीतिक क्लबों एवं समाचार पत्रों के माध्यम से आवाज उठानी प्रारंभ की। फ्रांस के विभिन्न षहरों में लगभग 60 ऐसे क्लब थे। उनमें द सोसाइटी आफ रिवाल्यूषनरी एंड रिपब्लिकन वुमन क्लब बहुत प्रसिद्ध हुआ। उनकी मुख्य मांग समान राजनैतिक अधिकार, मत देने का अधिकार, एसेम्बली के लिए चुने जाने का अधिकार एवं राजनैतिक कार्यालय खोलने का अधिकार थे। क्रांतिकारी षासन ने ऐसे कानून बनाए जिससे महिलाओं के जीवन में सुधार हो। सभी लडकियों के लिए षिक्षा अनिवार्य कर दी गई। पिता उनकी इच्छा के विरुद्ध उनका विवाह नहीं करा सकते थे। विवाह एक समझौते के रुप में स्थापित किया गया और इसे सिविल कानून के अंतर्गत मान्यता दी गई। तलाक को वैध बनाते हुए महिलाओं एवं पुरुषों दोनों को आवेदन करने की पात्रता दी गई।

रेन आफ टेरर के समय नई सरकार ने महिलाओं के क्लब बंद करवा दिए एवं उनके राजनैतिक दखल पर रोक लगा दी गई। कई प्रभावी महिला राजनीतिज्ञों को गिरफ्तार कर सजा दे दी गई।

अंततः फ्रांस में 1946 में महिलाओं को मताधिकार मिला।

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