Hindi, asked by preetishinde0379, 2 months ago

mahrashiवैदिक वांग्मय के कितने क्षेत्र हैं वेदों के क्रम से नाम चेतना के गुण और शरीर में स्थान लिखिए ​

Answers

Answered by IPSDreamerSmriti
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Answer:

वैदिक वाङ्मय का शास्त्रीय स्वरूप

संस्कृत साहित्य की शब्द-रचना की दृष्टि से 'वेद' शब्द का अर्थ ज्ञान होता है, परंतु इसका प्रयोग साधारणतया ज्ञान के अर्थ में नहीं किया जाता। हमारे महर्षियों ने अपनी तपस्या के द्वारा जिस 'शाश्वत ज्योति' का परम्परागत शब्द-रूप से साक्षात्कार किया, वही शब्द-राशि 'वेद' है। वेद अनादि हैं और परमात्मा के स्वरूप हैं। महर्षियों द्वारा प्रत्यक्ष दृष्ट होने के कारण इनमें कहीं भी असत्य या अविश्वास के लिये स्थान नहीं है। ये नित्य हैं और मूल में पुरुष-जाति से असम्बद्ध होने के कारण अपौरुषेय कहे जाते हैं।

Explanation:

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Answered by aroranishant799
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Answer:

महर्षि वेद विज्ञान के 40 मारेत्रों के घाटों को सुनकर। मानव शरीर में वैदिक विज्ञान के 40 क्षेत्रों का दर्शन, उनके विभिन्न अंग और विभाग।

Explanation:

संस्कृत साहित्य में 'वेद' शब्द का अर्थ ज्ञान होता है, परन्तु सामान्यतया इसका प्रयोग ज्ञान के अर्थ में नहीं किया जाता है। हमारे महर्षियों ने जिस 'सनातन ज्योति' को अपनी तपस्या से पारम्परिक शब्द-रूप में साक्षात्कार किया है, वही शब्द-योग 'वेद' है। वेद शाश्वत हैं और ईश्वर के रूप हैं। इनमें कहीं भी असत्य या अविश्वास का कोई स्थान नहीं है क्योंकि महर्षियों को वे प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देते हैं। वे शाश्वत हैं और अपौरुषेय कहलाते हैं क्योंकि वे मूल रूप से पुरुष-जाति से संबंधित नहीं हैं।

#SPJ3

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