Mai ek sainik bol raha hu. Nibandh 2 pages
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मैं सैनिक बोल रहा हूँ
" दुनिया की इच्छा पूरी करनेवाला, अपने बच्चों की एक झलक देखकर, अपनी अर्धांगिनी से एक प्यार कि झप्पी लेकर अपनों से बहुत दूर, खुदा से दूर सिर्फ अपनी मात्रभूमि के लिए, भारत माता के लिए अपनी जान की भी कुर्बानी करनेवाला मैं एक देशप्रिय सैनिक I
जी हाँ मैं एक सैनिक हूँ जिससे अपनी जननी माँ सबसे प्रिय है I अपनी माँ की सुरक्षा के लिए मैं चौबीसों घंटे भारत की सीमा पर नज़र लगए रहता हूँ I मेरे जीवन में मैने कभी भी आराम दायक जीवन नहीं गुज़राई है I इसलिए मै हमेशा साधारण कपडे और दिन में चावल और दाल ही खाता हूँ I रोज़ कसरत भी करता हूँ I इससे मेरा शरीर तन्दुरुस्त और आरामदायक रहता है I मेरे परिवार वाले मेरे घर रजस्थान में रहते है I
सैनिक होने के नाथे मुझे अपने परिवार को छोडकर देश कि सुरक्षा करने के लिए अपनी जान की कुर्बानी के लिए किसी भी क्षण तैयार रहना होगा I लेकिन इससे मुझे खुशी मिलती है I देश की रक्षा करने जैसा सुवर्ण मौके से बढकर कुछ नहीं है I
एक आखिरी गुज़ारिश तो सबकी होती है, मेरी भी है I 'ए मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँंखों में भर लो पानी, जो शहीद हुए है उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी!' य़े जो सुवर्ण वाक्य हमारी लता जी ने कहीं हैं, उनकी शब्दों को अपने मन विचारों में ज़रूर सोचिएगा I यह गुज़रिश खास बच्चों से है I आप इस सैनिक की एक ही गुज़ारिश पूरी करेंगे ना?"