Mai wo dhanu hu - agyeya saransh
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Answer:अज्ञेय रचना संचयन : मैं वह धनु हूँ-- / [अज्ञेय] ; संकलन एवं सम्पादन, कन्हैयालाल नन्दन. ंस्करणसंस्करण
Explanation:मैं वह धनु हूँ, जिसे साधने
में प्रत्यंचा टूट गई है।
स्खलित हुआ है बाण, यदपि ध्वनि
दिग्दिगन्त में फूट गई है--
प्रलय-स्वर है वह, या है बस
मेरी लज्जाजनक पराजय,
या कि सफलता ! कौन कहेगा
क्या उस में है विधि का आशय !
क्या मेरे कर्मों का संचय
मुझ को चिन्ता छूट गई है--
मैं बस जानूँ, मैं धनु हूँ, जिस
की प्रत्यंचा टूट गई है!
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