Main Haar Gayi kahani ki Samiksha
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मैं हार गई कहानी की समीक्षा
मैं हार गयी' मन्नू जी की प्रसिद्ध कहानी है| इस कहानी की नायिका एक नेता की पुत्री थी| किसी कवि ने एक सम्मेलन में उनकी मज़ाक उड़ाया गया| इसलिए वह कहानी लिखना चाहती है कि मैं हार गई| व
इस कहानी में लेखिका एक नेता का निर्माण करना चाहती है| वह एस ईमानदारी नेता का निर्माण करना चाहती थी| ऐसा नेता जो भ्रष्टाचार को खत्म कर सके और ईमानदारी के रास्ते पर चले | लेखिका इस कार्य में सफल नहीं हो पाती इसलिए वह अंत में कहती है कि मैं हार गई| वह एक कवि समेलन में जाती है अपने मित्र के साथ | सम्मेलन में राजनेताओं में व्यंग पर कविता सुनाई जाती है| कविता में एक पिता में अपने पुत्र का भविष्य जानने के लिए उसके कमरे में कुछ चीज़ें रख देते है | वह तीन चीज़ें रखते है अभिनेत्री की तस्वीर और एक शराब की बोतल और गीता की किताब | पिता चुप कर देखते है , सबसे पहले पुत्र अभिनेत्री की तस्वीर को देखता है ,फिर वह शराब की बोतल देखता है फिर अंत में गीता किताब को अपने पास रखता है | इससे पिता को पता लग जाता है कि वह नेता बनेगा |
लेखिका को कविता में कविता अच्छी नहीं लगती है | इस सम्मेलन से वह एक निर्णय ले कर आती है कि वह एक अच्छे नेता का निर्माण करेगी | वह एक कहानी का निर्माण करती है | एक गरीब परिवार का लड़के को नेता बनाना चाहती थी| लेकिन उस लड़के के पिता की मृत्यु हो जाती है | उस लड़के का ध्यान अच्छे नेता से भटक जाता है और उसका ध्यान बस आजीविका पर आता है| वह लड़का कहता है मुझे मेरा देश भी प्यारा है लेकिन मैं अपने परिवार को नहीं छोड़ सकता | लेखिका कहती है की तुम्हें अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटना है| जैसे मैं कहूंगी तुम वैसा ही करोगे |
लेखिका कुछ नहीं कर पाती वह लड़का मजदूरी करने लगता है| लड़का सोचता है की अपने परिवार की जरूरतों के लिए वह चोरी करने लगता है| लेखिका को बहुत बुरा लगता है वह उस लड़के को नेता बनाने के लिए कहानी लिखना छोड़ देती है|
लेखिका उसके बाद दूसरी कहानी लिखने का निर्णय लेती है | उस कहानी में वह लड़का अच्छा पड़ा लिखा होता है | लेकिन बाद में वह लड़का भी दोस्तों ले साथ बिगड़ने लग जाता है | वह जुआ खेलने लग जाता है , वह शराब पीने लग गया | वह लड़का लिखित को जबाव देता है| लेखिका नाराज हो जाती है और वह उस पर चिल्लाती है | लेखिका को बहुत शर्म आती है कि जैसा मैं नेता बनाना चाहती हूँ वैसा मुझे नहीं मिल रहा है| लेखिका लिखती है कि वह ऐसा दिन कभी नहीं आया |
इस प्रकार उसकी कहानी का अंत हो जाता है वह इस कहानी को फाड़ कर फेंक देती है | लेखिका कहती है कि मैं हार गई | किसी भी वर्ग में कोई भी अच्छे नेता बनने के कोई गुण नहीं है |