main savacch bharat ke liye kya krungi essay in hindi
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एक बार महात्मा गांधी जी ने कहा था कि, “स्वतंत्रता से अधिक स्वच्छता का महत्व हैं ” और आज 70 साल की स्वतंत्रता के बाद भी हम पूरी तरह से स्वच्छ भारत पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमारी सरकार ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था जिसका उदेश्य साल 2019 तक भारत को एक सम्पूर्ण स्वच्छ राष्ट्र बनाना हैं । लेकिन इस अभियान को लोगों की भागीदारी के बिना पूरा नहीं किया जा सकता। यह बहुत जरूरी है कि हम सभी इस स्वच्छ भारत अभियान में भाग लें ओर भारत को एक स्वच्छ राष्ट्र बनाये।
स्वच्छ भारत के लिए मैं क्या कर सकता हूं? बस एक झाड़ू उठाकर सड़कों को साफ करना ही पर्याप्त नहीं है, इसके लिए हमें और अधिक प्रयास करने होंगे। जब भी हम कचरे का ढेर , गन्दी सड़के व नदियाँ या फिर ओर किसी प्रकार की अस्वच्छता की स्थिति देखते हैं तो तुरंत सरकार पर दोष लगाते हैं, लेकिन हमारी सामाजिक जिम्मेदारियों के बारे में क्या? हम सभी को अपने घर को साफ रखना पसंद हैं, लेकिन आसपास के परिवेश को नहीं। स्वच्छ भारत पाना जितना मुश्किल लगता है वास्तव में उतना मुश्किल है नहीं। आइये जानते हैं की स्वच्छ भारत के लिए हम क्या कर सकते हैं।
हममें से अधिकतर लोग कागज़, डिब्बे और बोतलों जैसे कचरे को यहाँ वहाँ फेंक देते हैं। सड़क, बगीचे, जल निकायों या अपने आस पास के परिवेश का इस्तेमाल हम कचरे के डिब्बे की तरह करते हैं। लेकिन यह एक अच्छी आदत नहीं है। किसी भी प्रकार के कचरे को फेंकने से पहले उसे सॉर्ट (बायोडेग्रेडेबल और गैर-बायोडिग्रेडेबल) करना चाहिए, यह दुनिया के कचरा निपटान संकट को नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी तरीका है। पहले अपने आप को बदले , बाद में अपने पड़ोसियों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें। इस साधारण आदत को अपनाने से आप अपने परिवेश में एक बड़ा बदलाव देखेंगे। तो कूड़े को सही हमेशा कूड़ेदान में ही डालें ।थूकना, धूम्रपान या खुले में पेशाब या शौच करने को प्रोत्साहित न करें क्योंकि यह न केवल गदंगी फैलता हैं अपितु अस्वस्थ भी करता है, इसलिए ना तो ऐसा करे ना ही किसी को करने दें।
प्लास्टिक की थैलियां, कंटेनर या डिस्पोजेबलस का उपयोग न करें, क्योंकि प्लास्टिक एक गैर बायोडिग्रेडेबल सामग्री है तथा पर्यावरण पर इसके उपयोग के नकारात्मक प्रभाव पड़ते है। प्लास्टिक की थैलियां वन्यजीव और समुद्री जीवन के लिए भी हानिकारक हैं। इसलिए जब आप शॉपिंग के लिए बाहर जाते हैं तो अपने साथ एक कपडे का या पेपर बैग ले जाएं और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करे। प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग के लिए हमेशा ना कहे और प्लास्टिक उत्पादों को हमेशा डस्टबिन में ही डाले ना की सड़को या नदियों में फेंक दे। हमेशा उन चीजों का उपयोग करें जिनसे पुन: उपयोग या रीसायकल किया जा सके ताकि अपव्यय भी काम हो और पर्यावरण को भी नुक्सान ना पहुँचे।
अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखना और पर्यावरण की सुरक्षा करना केवल सरकार या एमसीडी की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि यह हमारा सामूहिक कर्तव्य भी है क्योंकि हमें बेहतर भविष्य और स्वस्थ जीवन शैली के लिए स्वच्छ भारत की आवश्यकता है। अपने परिवेश को साफ रखने के लिए हमें आगे आना होगा तथा लोगों को सफाई नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। आप भारत की सफाई के लिए अपने क्षेत्र में काम कर रहे किसी भी एनजीओ में शामिल हो सकते हैं या कम से कम किसी भी तरह से इस महान काम में अपना योगदान दे सकते हैं।
बच्चे किसी भी देश का भविष्य हैं और यदि वे बचपन से ही सफाई की आदतें व महत्व सीखते हैं, तो उनके साथ यह हमेशा के लिए रहेगी इसलिए बच्चों को स्वच्छता के बारे में सिखाना होगा। सार्वजनिक संपत्तियों को कूड़ा डालकर नष्ट न करें। स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वातावरण प्राप्त करने के लिए कार पूलिंग को प्रोत्साहित करे या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करे यह ईंधन अपव्यय को तो कम करेगा ही साथ ईंधन को जलाये जाने पर जो हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता हैं उसको भी कम करेगा।
इन सरल आदतों को अपनाकर हम स्वच्छ भारत के आंदोलन में योगदान दे सकते है।
Hope this help you....
Thank you
स्वच्छ भारत के लिए मैं क्या कर सकता हूं? बस एक झाड़ू उठाकर सड़कों को साफ करना ही पर्याप्त नहीं है, इसके लिए हमें और अधिक प्रयास करने होंगे। जब भी हम कचरे का ढेर , गन्दी सड़के व नदियाँ या फिर ओर किसी प्रकार की अस्वच्छता की स्थिति देखते हैं तो तुरंत सरकार पर दोष लगाते हैं, लेकिन हमारी सामाजिक जिम्मेदारियों के बारे में क्या? हम सभी को अपने घर को साफ रखना पसंद हैं, लेकिन आसपास के परिवेश को नहीं। स्वच्छ भारत पाना जितना मुश्किल लगता है वास्तव में उतना मुश्किल है नहीं। आइये जानते हैं की स्वच्छ भारत के लिए हम क्या कर सकते हैं।
हममें से अधिकतर लोग कागज़, डिब्बे और बोतलों जैसे कचरे को यहाँ वहाँ फेंक देते हैं। सड़क, बगीचे, जल निकायों या अपने आस पास के परिवेश का इस्तेमाल हम कचरे के डिब्बे की तरह करते हैं। लेकिन यह एक अच्छी आदत नहीं है। किसी भी प्रकार के कचरे को फेंकने से पहले उसे सॉर्ट (बायोडेग्रेडेबल और गैर-बायोडिग्रेडेबल) करना चाहिए, यह दुनिया के कचरा निपटान संकट को नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी तरीका है। पहले अपने आप को बदले , बाद में अपने पड़ोसियों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें। इस साधारण आदत को अपनाने से आप अपने परिवेश में एक बड़ा बदलाव देखेंगे। तो कूड़े को सही हमेशा कूड़ेदान में ही डालें ।थूकना, धूम्रपान या खुले में पेशाब या शौच करने को प्रोत्साहित न करें क्योंकि यह न केवल गदंगी फैलता हैं अपितु अस्वस्थ भी करता है, इसलिए ना तो ऐसा करे ना ही किसी को करने दें।
प्लास्टिक की थैलियां, कंटेनर या डिस्पोजेबलस का उपयोग न करें, क्योंकि प्लास्टिक एक गैर बायोडिग्रेडेबल सामग्री है तथा पर्यावरण पर इसके उपयोग के नकारात्मक प्रभाव पड़ते है। प्लास्टिक की थैलियां वन्यजीव और समुद्री जीवन के लिए भी हानिकारक हैं। इसलिए जब आप शॉपिंग के लिए बाहर जाते हैं तो अपने साथ एक कपडे का या पेपर बैग ले जाएं और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करे। प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग के लिए हमेशा ना कहे और प्लास्टिक उत्पादों को हमेशा डस्टबिन में ही डाले ना की सड़को या नदियों में फेंक दे। हमेशा उन चीजों का उपयोग करें जिनसे पुन: उपयोग या रीसायकल किया जा सके ताकि अपव्यय भी काम हो और पर्यावरण को भी नुक्सान ना पहुँचे।
अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखना और पर्यावरण की सुरक्षा करना केवल सरकार या एमसीडी की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि यह हमारा सामूहिक कर्तव्य भी है क्योंकि हमें बेहतर भविष्य और स्वस्थ जीवन शैली के लिए स्वच्छ भारत की आवश्यकता है। अपने परिवेश को साफ रखने के लिए हमें आगे आना होगा तथा लोगों को सफाई नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। आप भारत की सफाई के लिए अपने क्षेत्र में काम कर रहे किसी भी एनजीओ में शामिल हो सकते हैं या कम से कम किसी भी तरह से इस महान काम में अपना योगदान दे सकते हैं।
बच्चे किसी भी देश का भविष्य हैं और यदि वे बचपन से ही सफाई की आदतें व महत्व सीखते हैं, तो उनके साथ यह हमेशा के लिए रहेगी इसलिए बच्चों को स्वच्छता के बारे में सिखाना होगा। सार्वजनिक संपत्तियों को कूड़ा डालकर नष्ट न करें। स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वातावरण प्राप्त करने के लिए कार पूलिंग को प्रोत्साहित करे या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करे यह ईंधन अपव्यय को तो कम करेगा ही साथ ईंधन को जलाये जाने पर जो हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता हैं उसको भी कम करेगा।
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