Hindi, asked by ishika81996, 11 months ago

Maithilisharan Gupta ka jivan prichya​

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Answered by rubab1615
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Answer:

जन्म- 1886 ई०

जन्म स्थान- चिरगाँव झाँसी (उ०प्र०)

पिता- सेठ रामचरण गुप्त

मृत्यु- 1964 ई०  

राष्ट्रकवि के रुप में विख्यात मैथिलीशरण गुप्त का जन्म झाँसी जिले के चिरगांव में हुआ था ! इनके पिता सेठ रामचरण गुप्त प्रभु की भक्ति और आध्यात्म में सर्वाधिक समय लीन रहते थे, पिता की इसी भक्तिमय प्रवित्ति का इनके ऊपर गहरा असर पड़ा इनके पिता काव्य के क्षेत्र में काफी अग्रणी थे जिन्हें देखकर बचपन में ही मैथिलीशरण गुप्त ने अपने पिता से भी बड़ा कवि बनने का आशीर्वाद अपनी एक रचना के द्वारा अपने पिता से अर्जित किया, इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इनके पैतृक गाँव में ही संपन्न हुई, विद्यालयी शिक्षा में इन्होने मात्र नौंवी तक की शिक्षा को प्राप्त किया ! किन्तु इसके उपरान्त इन्होने स्वाध्याय ही अनेक भाषाओँ का ज्ञान अर्जित कर लिया, साहित्य के प्रति इनकी लेखनी निरंतर गतिमान रही और इसी दौरान इनकी भेंट आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी से हो जाती है और ये इन्ही को अपना काव्य गुरु मानने लगते है ! गुप्त जी ने अपने काव्य गुरु के आदेश पर ही “भारत-भारती” नामक काव्य ग्रन्थ की रचना किये, इस काव्य रचना के माध्यम से इन्होंने युवाओं में राष्ट्र प्रेम की निर्मल गंगा का प्रवाह कर दिया इनके मार्गदर्शक के रूप में मुंशी अजमेरी जी का नाम बखूबी से लिया जाता है, गाँधी जी के साथ स्वतंत्रता आन्दोलन की लड़ाई में इन्होने अपनी सक्रीय भूमिका निभाई और देश-प्रेम, समाज-सुधार, धर्म, राजनीति के पक्ष में अपनी रचनाएँ रचित करते रहे !

राष्ट्र के प्रति अधिक रचनात्मक कवितायेँ लिखने के कारण राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने इन्हें राष्ट्रकवि की उपाधि से सम्मानित किया, इनकी लोकप्रियता इतनी व्यापक हो चली थी कि ये राष्ट्र के प्रति अपने लेखों को दिन-प्रतिदिन बढ़ाते चले गये सत्याग्रह  आन्दोलन के दौरान इन्हें जेल जाना पड़ा, 1952-1964 ई० में राज्यसभा सांसद के रूप में अपनी सेवा राष्ट्र को दिये, सन 1958 ई० में इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने इन्हें डी०लिट् की मानद उपाधि से सम्मानित किया और 1954 ई० को भारत सरकार ने “पद्मभूषण” से अलंकृत किया ! राष्ट्र के प्रति अपनी रचनाओं को समर्पित करने वाला यह राष्ट्रकवि 12 दिसम्बर 1964 ई० को अपने राष्ट्र को अलविदा कह गया !

साहित्यिक परिचय –

साहित्य जगत में गुप्त जी ने कलकत्ता से प्रकाशित पत्रिका “वैश्योपकारक” के माध्यम से अपनी साहित्यिक रचनाओं का समाज के लोगों के बीच में पदार्पण किया, कुछ समय के बाद दिवेदी जी की पत्रिका “सरस्वती” में भी अपने लेख को ये प्रकाशित करवाने लगे, इसके बाद सन 1912 ई० में भारत-भारती के प्रकाशित होने पर यह राष्ट्र के लोकप्रिय कवि के रूप में विख्यात हो गये !

रचनायें –

       भारत-भारती, यशोधरा, साकेत, रंग में भंग, द्वापर, पंचवटी, जयद्रथ वध, जय भारत , सिद्धराज, झंकार, नहुष, पृथ्वीपुत्र, अनघ, किसान, गुरुकुल, हिन्दू, चंद्रहास, मंगल घट, कुणाल गीत, मेघनाथ वध आदि

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