मज्जषायाः उचितं विपरीतार्थकं पदं चित्वा लिखन्त-
(i) नीचैः
अवतीर्य
(ii) पूर्णम्
(iii) विवेकेन
(iv) आरुह्य
एकवाग्म
अन्तःक
अविवेकेन
(v) बहिः
उपरि
(vi) अनेकवारम्
अपूर्णम्
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