मजाक कब उड़ाया जाता है कि स्थिति में वह व्यंग कहलाता है
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आज साहित्य में व्यंग्य विधा को स्वतंत्र विधा मान लिया गया है। समाज की विसंगतियों, भ्रष्टाचार, सामाजिक शोषण अथवा राजनीति के गिरते स्तर की घटनाओं पर अप्रत्यक्ष रूप से तंज या व्यंग्य किया जाता है। साधारण तथा लघु कथा की तरह संक्षेप में घटनाओं पर व्यंग्य होता है, जो हास्य नहीं कभी-कभी आक्रोश भी पैदा करता है।
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