मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना।" पर अनुच्छेद लेखन
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हमारे उर्दू के सुप्रसिद्ध शायर मोहम्मद इकबाल के द्वारा लिखी गई कुछ पंक्तियां ऐसी थी, जिनको अनेकों बार दोहराया गया “मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना हिंदी है हम वतन के हिंदुस्तान हमारा सारे जहाँ से अच्छा” इन पंक्तियां बहुत कम शब्दों में कुछ ऐसी सच्चाई है कि हमारे भारत में सभी लोग एकजुट हो कर रहे।
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इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि आजकल धर्म के नाम पर बैर, घृणा तथा हिंसा की घटनाएँ बढ़ रही हैं, पर इनके पीछे स्वार्थी एवं मदांध धर्माचार्यों का हाथ होता है. हमें याद रखना चाहिए कि धर्म व्यक्ति से जोड़ता है, तोड़ता नहीं. इसलिए इकबाल ने कहा था 'मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना'.
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