मजदूर की मन:स्थिति ’ का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए
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देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को घर भेजना राज्य सरकारों के लिए चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है. प्रवासी मजदूरों की घर वापसी को केंद्र सरकार की हरी झंडी मिल जाने के बाद भी राज्यों के लिए मजदूरों का पलायन चुनौती बन गया है.
कोरोना संकट के इस दौर में मजदूरों का पंजीकरण, वाहनों का इंतजाम, स्क्रीनिंग समेत तमाम जरूरी बंदोबस्त अब सरकार के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं.सबसे बड़ी समस्या ऐसी स्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने की है, जिसके लिए तमाम राज्य सरकार अधिकारियों से मंथन कर रही है.बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूरों को वापस लाने के लिए स्पेशल ट्रेन का इंतजाम कराए.
मोदी ने केंद्र सरकार से असमर्थता जताते हुए कहा है कि बिहार जैसे राज्य खुद अपने 27 लाख मजदूरों को महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के राज्यों से घर लाने में सक्षम नहीं हैं.
बिहार के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य संजय कुमार ने माना है कि अगर मजदूर राज्य में वापस लौटते हैं तो उनकी थर्मल स्क्रीनिंग कराई जा सकती है. यह साफ़ नहीं है कि घर लौटने वाले प्रवासी मजदूरों को क्वारंटीन में रखने की नौबत आई तो इसके लिए कितना बड़ा इंतजाम करना होगा.
यूपी की योगी सरकार ने देश के अलग-अलग हिस्से में फंसे मजदूरों को घर आने के लिए जल्दबाजी नहीं करने की सलाह दी है. सीएम योगी ने मजदूरों से कहा है कि अब तक जिस तरह वे धीरज से स्थिति का सामना कर रहे हैं, वह आगे भी उसी धैर्य को बरकरार रखें.
योगी ने कहा है कि जो भी मजदूर अलग-अलग राज्यों में फंसे हैं, वह अपने राज्य की सरकार से बात कर लें. यूपी सरकार ऐसे प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए सारे इंतजाम कर रही है और प्रदेश के अधिकारी खुद अलग-अलग राज्यों के संपर्क में हैं.