मजदूरों के प्रति सहानुभूति क्यों रखनी चाहिए?
मजदूर के पारिवारिक जीवन का हाल कैसा होता है? पाठ के आधार पर लिखिए।
'दुनिया में क्या नहीं? कौन सी चीज मैंने अपने हाथों पैदा नहीं की?' इस कथन को ध्यान में रखकर
मजदूरों के द्वारा किए गए निर्माण कार्यों को अपने शब्दों में लिखिए?
"दिन सोता था रात सोती थी, पर मैं जागता था।" का आशय क्या है?
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Answers
¿ मजदूरों के प्रति सहानुभूति क्यों रखनी चाहिए ?
✎... मजदूर से इसलिए अनुभूति रखनी चाहिए, क्योंकि मजदूर कठोर परिश्रम करता है। इसके बावजूद भी उसकी जीवनदशा नहीं सुधरती। वह हम सब की सुख-सुविधाओं के लिए निर्माण कार्य करता है, लेकिन मजदूर खुद भूखा, नंगा, बेघर और सुविधाहीन ही रहता है।
¿ मजदूर के पारिवारिक जीवन का हाल कैसा होता है? पाठ के आधार पर लिखिए।
✎... मजदूर के पारिवारिक जीवन का हाल बेहद दयनीय होता है, उसके या तो घर ही नहीं होता। होता भी है तो टूटा-फूटा होता है। वह भूखा-नंगा रहता है। वह अपने बच्चों को अच्छी तरह पाल पोस भी नहीं पता क्योंकि उसके लिए कोई सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। वह अनेक ऐसे कार्यों में अपना योगदान देता है, जिससे लोगों को सुख-सुविधाएं प्राप्त होती है, लेकिन उसका जीवन सुख-सुविधाहीन और अभावों से ग्रस्त रहता है।
¿ 'दुनिया में क्या नहीं? कौन सी चीज मैंने अपने हाथों पैदा नहीं की?' इस कथन को ध्यान में रखकर मजदूरों के द्वारा किए गए निर्माण कार्यों को अपने शब्दों में लिखिए?
✎... दुनिया में क्या नहीं कौन सी चीज मैंने अपने हाथों से पैदा नहीं की। इस कथन का अभिप्राय यह है कि दुनिया के जितने भी निर्माण कार्य हुए हैं जितने भी उत्पादन कार्य हुए हैं, सब में मजदूर का ही योगदान रहता है। मजदूर के बिना कोई भी उत्पादन या निर्माण का कार्य नहीं हो सकता।
मजदूर अपने हाथों से चट्टानों को हटाकर रास्ता बनाता है। खदानों को खोजता है और उनमें से सोना, चांदी, लोहे, कोयले आदि को निकालता है। मजदूर पुलों का निर्माण करता है। इमारतों का निर्माण करने में अपना श्रम लगाता है। मजदूर सड़कों का निर्माण करने में अपना श्रम लगाता है। मजदूर ही अलग-अलग कल-कारखानों में अपना श्रम लगाकर विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन में अपना योगदान देता है। इस तरह संसार के हर उत्पादन और निर्माण कार्य में मजदूर का ही श्रम लगा होता है।
¿ "दिन सोता था रात सोती थी ,पर मैं जागता था।" का क्या आशय है।
✎... ‘दिन सोता था, रात सोती थी’ इस कथन का आशय है कि मजदूर कहना चाहता है, दिन हो या रात उसने समय की परवाह किये बिना अपने कर्म को जारी रखा। उसने परिश्रम करने में दिन-रात का भेद नही किया। जब दिन में भी बहुत से लोग आराम फरमाते थे वो अपने कर्म मे लगा रहता था, जब रात में सारी दुनिया सो जाती थी, वो अपने कर्म में लगा रहता था। उसने निरंतर अपना कर्म करना जारी रखा। मजदूर ने अपने पौरूष बल से बड़ी-बड़ी चट्टानों को हटाया, पहाड़ों को खोदा और रास्ते बनाये, खदाने खोजीं।
(पाठ - ‘मैं मजदूर हूँ’, लेखक - भगवत शरण उपाध्याय — कक्षा - 10, इकाई -2.1)
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Answer: majduron ke parivarik jivan ka Hal kaisa hota hai paath ke aadhar per likhiye
Explanation: