मजदूर नही होते तो हमारी दुनिया के विकाश कार्यो का क्या होता कल्पना कर अपने शब्दों में लिखिये
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बेहद सरल शब्दों में व्याख्या करें तो देश में कोई भी ऐसा व्यक्ति जो अपनी श्रम शक्ति को बेचकर रोजगार प्राप्त करके अपना जीवन यापन करता है तो वह एक मजदूर है। वैसे हमारे देश में औद्योगिक विवाद अधिनियम (1947) की परिभाषा के अनुसार यह फैसला किया जाता है कि कौन मजदूर है। औद्योगिक विवाद अधिनियम के दफा 2 (एस) में मजदूर की परिभाषा इस प्रकार दी गयी है-
“मजदूर (प्रशिक्षु समेत) कोई भी ऐसा व्यक्ति है जो मजदूरी या वेतन के बदले, किसी उद्योग में शारीरिक, अकुशल, कुशल, तकनीकी, कार्यकारी, क्लर्क या सुपरवाइज़र का काम करता हो, चाहे काम की शर्तें स्पष्ट या अन्तर्निहित हों वह मजदूर है।"
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