मजदूर पत्र...... विभाग तैयार करते हैं
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अधिकार योजनाओं से आज भी अनजान मजदूर
6 वर्ष पहले
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करौली। भवन अन्य संनिर्माण कर्मकार होने के प्रमाण-पत्र पर आवेदन के कॉलम 13 पर चार के हस्ताक्षर मान्य हैं। कर्मकार के नियोजक या ठेकेदार, निर्माण श्रमिकों की पंजीकृत यूनियन के अध्यक्ष या महामंत्री एवं संबंधित पंचायत के कार्यकारी अधिकारी तथा क्षेत्र के श्रम निरीक्षक के हस्ताक्षर मय नाम,पता टेलीफोन नंबर होना आवश्यक है।
ये दस्तावेज आवश्यक
हिताधिकारी के पंजीयन के लिए राशन कार्ड, पहचान पत्र, जॉब कार्ड, ठेकेदार की मोहर सहित प्रमाण-पत्र के अलावा आयु का प्रमाण पत्र तीन पासपोर्ट रंगीन फोटो आवश्यक हैं। इसके अतिरिक्त पंजीयन शुल्क 25 रूपए भी जमा कराने होंगे। इसके अलावा प्रतिवर्ष अंशदान के रूप में 60 रूपए शुल्क भी देना होता है।
जानकारी देने से किया इनकार
विभागीय योजनांतर्गत जिले में लाभांवित श्रमिक खर्च राशि की सूचना चाही तो श्रम विभाग कार्यालय के निरीक्षक सी.एल.वर्मा ने मीडिया को जानकारी देने से इंकार करते हुए स्वयं को अधिकृत नहीं होना बताया।
उन्होंने श्रम कल्याण अधिकारी जगदीश नारायण निर्वाण से दूरभाष पर वार्ता की और कहा कि मंत्री ने उन्हें विभाग की सूचनाएं मीडिया को बताने की मना की है। आखिर कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद ही विभाग के अधिकारी ने योजनावार प्रगति रिपोर्ट बताई।
जबकि हिताधिकारियों के वित्तीय वर्षवार पंजीयन की जानकारी देने के बजाय मौखिक तौर पर 26719 श्रमिकों का पंजीयन होना बताया।
केंद्र राज्य सरकार के संगठित असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के कल्याण हितों के लिए श्रम कल्याण विभाग अंतर्गत विभिन्न योजनाएं संचालित हैं। मगर योजनाओं की जानकारी अधिकारों के प्रति जागरुकता का अभाव होने से अधिकांश श्रमिकों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
हालांकि जिले में हिताधिकारी (श्रमिकों) का पंजीयन जरूर साल दर साल बढ़ा है, मगर योजनांतर्गत लाभार्थियों की संख्या बेहद कम है। विभाग की लापरवाही उदासीन रवैया के चलते पंजीयन नवीनीकरण के अलावा योजनांतर्गत लाभ लेने के लिए कार्यालय में प्रतिदिन पीड़ित श्रमिकों का चक्कर काटना आम है।
यही कारण है कि जिले में पंजीकृत 26719 में से अभी तक मात्र 1641 श्रमिक ही विभिन्न योजनाओं में लाभांवित हो पाए हैं, जबकि अन्य कई योजनाओं की प्रगति तो बिल्कुल शून्य है।
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