Economy, asked by modakmangal4, 3 months ago

मकायाम
11. (पूँजी की दो विशेषताओं का वर्णन करें ।)​

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पूंजी से आशय:-

साधारण बोलचाल में पूंजी का अर्थ द्रव्य एवं संपत्ति से लिया जाता है, पर अर्थशास्त्र में यह विशेष अर्थ में प्रयोग में लायी जाती है। प्रायः पूंजी मनुष्य द्वारा उत्पादित धन के उस भाग को कहते हैं, जो और ज्यादा धन के उत्पादन में प्रयोग की जाती है । इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्न हैं -

प्रो. मार्शल के शब्दों में, “प्रकृति के निःशुल्क उपहारों के अलावा वह सब संपत्ति, जिससे आय प्राप्त होती है, पूंजी कहलाती है।”

प्रो. चैपमैन के शब्दों में, “पूंजी वह धन है, जो आय प्रदान करती है या इस उद्देश्य से जिसका प्रयोग होता है।”

पूंजी की विशेषताएं:

1. पूंजी उत्पादन का गौण साधन है- भूमि तथा श्रम उत्पादन के अनिवार्य साधन समझे जाते हैं, जिनके बगैर उत्पादन संभव नहीं है। पूंजी के विषय में हालांकि यह कहना कि वह उत्पादन का गौण साधन है, आधुनिक उत्पादन प्रणाली के संदर्भ में उचित नहीं लगता, हर उत्पादन हेतु पूंजी आवश्यक नहीं है, जिस तरह कि भूमि तथा श्रम है |

2. पूंजी उत्पत्ति का एक निष्क्रिये साधन है- भूमि की तरह ही पूंजी भी उत्पत्ति का एक निष्क्रिय साधन है । बगैर श्रम के सहयोग के पूंजी बेकार पड़ी रहेगी, उसमें उत्पत्ति कर सकने का सामर्थ्य नहीं होता।

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