Hindi, asked by monxotsfics, 5 months ago

मकर संक्रांति किस प्रकार मनाया जाता है और उस तौहर की अहमियत किया है ​

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Answered by Srishti9136
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भारतवासियों के हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है मकर संक्रान्ति। यह पर्व ‍पूरे भारत में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। यह कहा जाता है कि पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तब इस संक्रांति को मनाया जाता है।

यह त्योहार जनवरी माह की चौदह तारीख को मनाया जाता है। जब सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है उसी दिन से सूर्य की उत्तरायण गति आरंभ होने के कारण इसको उत्तरायणी भी कहते हैं।

मकर संक्रांति के पीछे जुड़ा इतिहास : यह भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा उनसे मिली थीं। महाभारत काल के महान योद्धा भीष्म पितामह ने भी अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था।

इस त्योहार को अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति को तमिळनाडु में पोंगल के रूप में तो आंध्रप्रदेश, कर्नाटक व केरला में यह पर्व सिर्फ संक्रान्ति के नाम से प्रसिद्ध हैं।

इस पर्व पर खास तौर पर तिल-गुड़ का ही महत्व होता है। इस दिन तिल, गुड़ का दान करना, दाल-चावल की खिचड़ी का दान करना अत्यंत महत्वूपर्ण माना जाता है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि इस दिन तिल, खिचड़ी और गुड़ दान करने से आपके अशुभ परिणामों में कमी आती है। इस दिन तिल-गुड़ से बने लड्‍डू, पपड़ी, और कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं।

मकर संक्रांति के दिन महाराष्‍ट्र में 'तिळ घ्या आणि गोड गोड बोला' इस शब्द का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। इस दिन यह लाइन बोलने के साथ ही तिल के साथ-साथ एक-दूसरे को उपहार बाँटने का प्रायोजन भी जारी रहता है। विवाहित ‍महिलाएँ इस दिन अपने घर दूसरी ‍महिलाओं को आमंत्रित कर उन्हें हल्दी-कँकू लगाकर तिल-गुड़ के साथ-साथ उपहारों की पूजा करके भेंट देती है। और यह एक बहुत ही शुभ शगुन माना जाता है।

Answered by samarthcv
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Answer:

मकर संक्रांति को तमिळनाडु में पोंगल के रूप में तो आंध्रप्रदेश, कर्नाटक व केरला में यह पर्व सिर्फ संक्रान्ति के नाम से प्रसिद्ध हैं। इस पर्व पर खास तौर पर तिल-गुड़ का ही महत्व होता है। इस दिन तिल, गुड़ का दान करना, दाल-चावल की खिचड़ी का दान करना अत्यंत महत्वूपर्ण माना जाता है।

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