make a poem on exam In hindi
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खेलों में छोड़ों अपनी बारी
करो अब परीक्षा की तैयारी
मेहनत से जी न चुराओ
एकाग्र कर मन जुट जाओ
आलस्य का करो त्याग
उद्दम से होगा बेडा पार
ईर्ष्या न करो
करो मुकाबला
एक दुसरे से निकलो आगे
सफलता पाकर
मन से निराशा भागे
माँ बाप का नाम चमकाओ
अपने गुरुओं की शान बढाओ
सब का करो सम्मान
पूरे होंगे तम्हारे अरमान
समय की यही है पुकार
लेखक – वीरेन्द्र शर्मा
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जब परिक्षा सर पर आता है
तब सबकी खटिया खड़ी करके जाता है
रातों की नींद हराम होती है और
परिक्षा में टेंशन का पारा हाई हो जाता है।
जो सालभर पढ़ते हैं
उनको परिक्षा कक्ष में देखकर औरों
का दिल जलता है।
जो साल में एक बार किताब उठाते हैं
उनको तो चैप्टर ही मालूम नहीं होते।
परीक्षा आने पर सब पर भूत सवार होता है
पढ़ने का।
फोन साइड हो जाता है
फेसबुक भी बंद हो जाता है
जब परीक्षा आता है।
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