make a story using these words - दरवाजा पतंग खरबूजे कपड़े रोटी
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इस पाठ में मुख्य पात्र एक बुढ़िया है जो पुत्र शोक से पीड़ित है। उस बुढ़िया की तुलना एक अन्य स्त्री से की गई है जिसने ऐसा ही दर्द झेला था। दूसरी स्त्री एक संपन्न घर की थी। इसलिए उस स्त्री ने ढ़ाई महीने तक पुत्र की मृत्यु का शोक मनाया था। उसके शोक मनाने की चर्चा कई लोग करते थे। लेकिन बुढ़िया की गरीबी ने उसे पुत्र का शोक मनाने का भी मौका नहीं दिया। बुढ़िया को मजबूरी में दूसरे ही दिन खरबूजे बेचने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ा। ऐसे में लोग उसे हिकारत की नजर से ही देख रहे थे। एक स्त्री की संपन्नता के कारण शोक मनाने का पूरा अधिकार मिला वहीं दूसरी स्त्री इस अधिकार से वंचित रह गई। इसलिए इस पाठ का शीर्षक बिलकुल सार्थक है
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Darwaza kholke jab maine apne kadam aage rakha to dekha chhat pe kapde sookh rahe hain. Main kharbooje khaane ke liye baith gayi aur asmaan mein udti patange dekhne lagi. kitni khoobsurat lag rahi thhi sab rangbirangi patange. Dusri or maa roti banate hue mujhe neeche bulati hain. Main jaldi se kharbooja kha kar neeche jaati hoon aur sabke sathh baith ke baate karna lagti hoon. Aise roz apne pariwaar ke sathh baith ke baat karna mujhe humesha se bahut pasand thha. Aasha karti hoon mera har din aisa hi ho.