मलबे का मालिक कहानी की मूल संवेदना
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मोहन राकेश द्वारा रचित कहानी 'मलबे का मालिक' के अंतर्गत सामाजिक और राष्ट्रीय परिपेेक्ष्य की आड़ में व्यक्तिगत स्वार्थ की वृत्ति किस प्रकार बसे हुए घर को तहस- नहस कर मलबे में परिवर्तित कर देती है, यह बताया है।
विभाजन की त्रासदी झेल रहा देश दंगों की ज्वाला से सुलग रहा था । ऐसे समय रक्खा पहलवान जैसे निकम्मे और नाकारा लोग मजहब के ठेकेदार बनकर अपने स्वार्थ साधने हेतु किस प्रकार चिराग जैसे मेहनतपरस्त पारिवारिक लोगों का निर्मम अंत कर देते हैं। कहानी में यही दर्शाया गया है | यही कहानी की मूल संवेदना भी है |
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malbe malbe ka Malik kahani ki mool samvedna likhiye
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