MAM, plzzz add study material of 'ras' in hindi what is it and what are their types. plzz reply fast.
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श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है। रस से जिस भाव की अनुभूति होती है वह रस का स्थायी भाव होता है। रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अवयव हैं।
रस का शाब्दिक अर्थ है - निचोड़। काव्य में जो उमंग आता है वह ही काव्य का रस है। काव्य में आने वाला उमंग अर्थात् रस लौकिक न होकर अलौकिक होता है। रस काव्य की आत्मा है। संस्कृत में कहा गया है कि "रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्" अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।
अर्थात् काव्य को पढ़ते या सुनते समय हमें जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे ही रस कहा जाता है ।
रसों की संख्या नौ प्रकार की होती है
रस का नाम स्थायीभाव -
1- श्रृंगार रस - रति
2- वीर रस- उत्साह
3- रौद्र रस - क्रोध
4- वीभत्स रस - जुगुप्सा ( घृणा )
5- अदभुत रस- विस्मय
6- शान्त रस- निर्वेद
7- हास्य रस - हास
8- भयानक रस - भय
9- करुण रस - शोक
( इनके अतिरिक्त दो रसों की चर्चा और होती है )
10- वात्सल्य रस - सन्तान विषयक रति
11- भक्ति रय- भगवद विषयक रति
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