Chinese, asked by avbilashah130084, 11 hours ago

मम गृहे तु बहवः कर्मकराः सन्ति। परं कृष्णमूर्तेः माता पिता च निर्धनौ कृषकदम्पति​

Answers

Answered by ananyanaskar28
0

Answer:

कृष्णमूर्ति: श्रीकांताश्च मित्रो अस्त्रम श्रीकंठस्य पित समिधा: असित। इसलिए:

तस्य भवन सर्वविदनि सुख-साधनी आसन। तस्मिन् विशाल भवन

चत्वारिंशत् स्तम्भाः आसन्। tasya

अठारहवीं सेल पंचभूत गवाक्ष:

चतुश्चत्वारिंशत् byणि, षष्ठींश

आसन विद्युतीकृत होते हैं। तत्र दश

नौकर: लगातार काम करना। पर

कृष्णमूर्ति: माता-पिता गरीब हैं,

किसान दंपति साधारण लोग बिना किसी दिखावा के घर में आते हैं।

एक बार श्रीकंठ: सुबह दस बजे

गृहम् अगच्छ। तत्र कृष्णमूर्ति: सच्चे माता-पिता

स्वाशक्त्य श्रीकांथस्य अथिथ्यम् अकुर्वन्। अब तक

श्रीकंठ: अकथायत- "मित्र! अहो भवता सतकरं

Santustosmi। केवल इदमेव मैं दुखी हूं

होम इको-सर्वेंट: ब्रेकफास्ट। मैं सत्कर्मा भवता हूँ

मुझे बहुत तकलीफ होती है। मम गरे तव भवह करमकराहं |

संति। "तदा कृष्णमूर्ति: अवगत-" मित्र! ममपि अष्टये

कर्मकार: संति। उनके दो पैर, दो हाथ, दो आंखें हैं,

Explanation:

Similar questions