Hindi, asked by hanvithakur83, 7 months ago

'ममता को रोपा था, तृष्णा को सींचा था' - इस पंक्ति से कवि का क्या आशय हैं?
ch-7 धरती हमे कितना देती है​

Answers

Answered by shishir303
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ममता को रोपा था, तृष्णा को सींचा था'

“धरती हमें कितना देती है” कविता में कवि ‘सुमित्रानंदन पंत जी’ इन पंक्तियों के माध्यम से कहते हैं कि अपने बचपन में पैसों को जमीन में बोने के बहुत दिनों के बाद रोज आशा भरी दृष्टि से उनको देखते रहने के बाद भी जब वहाँ जमीन से कोई पौधा नही उगा तो इस बात को लेकर बड़ी निराशा हुई। अब बड़ा होने पर वे स्वीकार करते हैं कि यह उनकी नादानी थी अर्थात उन्होंने गलत बीज बोये थे। पैसों को बोकर पेड़ उगने की आशा करना मूर्खतापूर्ण बात थी। उन्होंने ममता और तृष्णा को बोया और सींचा था।

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