man ek bartan nahi hai jise bhara jana hai balki ek jwala hai jise prajwalit kiya jana hai - essay
sunnysurya8930:
bda hua to kya hua jaise ped kajur
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हम सबने टोपी बेचने वेल और बंदर की कहानी ज़रूर सुनी होगी जिसमें टोपी बचएने वाला एक पेड़ के नीचे सोता है और उसकी टोपियाँ बंदर उठा लेते हैं. वो अपनी टोपी फेकटा है और बंदर भी नकल करते हैं और टोपियाँ फेकटे हैं. उसे अपनी टोपियाँ वापस मिल जाती है. इसके आयेज की कहानी कुछ इस तरह है.वा अपना यह किस्सा अपने बेटे को सुनता है और सबक याद रखने को कहता है की बंदर नकलची होते हैं. एक दिन उसका बेटा टोपी बेचने जाता है और फिर वैसा होता है, जब वो सो रा होता है तो बंदर सारी टोपियाँ उठा लेते हैं. अपने पिता की कहानी उसे याद होती है और उसका परिणाम भी. वो भी अपनी टोपी फेकटा है और देखता है की एक बंदर जिसके पास टोपी नही थी, वो पेड़ से नीचे उतरता है और उसकी टोपी भी ले जाता है.
तो इस कहानी से ह्यूम क्या शिक्षा मिलती है. दुनिया हर रोज़ बदली जा र्ही है. आज जो काम का है, वो कल बेकार हो सकता, कल के मूल्या आज ना लागू हों. हमारा मान, हमारी बुद्धि एक बर्तन की तरह नही है जिसे बहुत से जानकारियों से भरना है बल्कि एक ज्वाला के तरह होना चाहिए, जो सार और आसार के बीच में सॉफ सॉफ पहचान ले. इसलिए कभी कभी देखा भी जाता है की बचो की बुद्धिमटा बड़ों के मुक़ाबले काफ़ी तीक्षण होती है. एक कहानी भी है जिसमें एक राजा के नये वस्त्रो को सारे लोग अद्भुत बता रहे होते हैं जबकि वास्तव में उसने कोई कपड़े भी नही पहने होते और केवल बाकचा ही कहता है की राजा वस्त्रहीं है. बचे के मॅन पर अभी जानकारियों का कचरा कम है, उसका मान अभी ज्वलित बुद्धिमटा है, तभी वा ग़लत और सही के बीच भेद कर पता है.
तो हम कैसे अपने मॅन, अपनी बुद्धि को प्रज्वल्लित करें. सबसे पहले हूमें अपने मॅन को शांत करना सीखना होगा. अभी हमारा मॅन हमेशा कुछ ना कुछ उड़ेहबुन में लगा है. जैसे ही यह शांत होना शुरू होगा, यह स्पष्ट होने लगेगा. तब सार और अस्सर के बीच भेद करना आसान होगा. ह्यूम सदा याद रखना चाहिए की जानकारियाँ जो हम अपनी बुद्धि में भरते हैं, यह तेल की तरह होनी चाहिए जो ज्वाला जलाने के प्रयोग में लाई जा सके ना की रेत की तरह, जो हमारी आग को बुझा दे
तो इस कहानी से ह्यूम क्या शिक्षा मिलती है. दुनिया हर रोज़ बदली जा र्ही है. आज जो काम का है, वो कल बेकार हो सकता, कल के मूल्या आज ना लागू हों. हमारा मान, हमारी बुद्धि एक बर्तन की तरह नही है जिसे बहुत से जानकारियों से भरना है बल्कि एक ज्वाला के तरह होना चाहिए, जो सार और आसार के बीच में सॉफ सॉफ पहचान ले. इसलिए कभी कभी देखा भी जाता है की बचो की बुद्धिमटा बड़ों के मुक़ाबले काफ़ी तीक्षण होती है. एक कहानी भी है जिसमें एक राजा के नये वस्त्रो को सारे लोग अद्भुत बता रहे होते हैं जबकि वास्तव में उसने कोई कपड़े भी नही पहने होते और केवल बाकचा ही कहता है की राजा वस्त्रहीं है. बचे के मॅन पर अभी जानकारियों का कचरा कम है, उसका मान अभी ज्वलित बुद्धिमटा है, तभी वा ग़लत और सही के बीच भेद कर पता है.
तो हम कैसे अपने मॅन, अपनी बुद्धि को प्रज्वल्लित करें. सबसे पहले हूमें अपने मॅन को शांत करना सीखना होगा. अभी हमारा मॅन हमेशा कुछ ना कुछ उड़ेहबुन में लगा है. जैसे ही यह शांत होना शुरू होगा, यह स्पष्ट होने लगेगा. तब सार और अस्सर के बीच भेद करना आसान होगा. ह्यूम सदा याद रखना चाहिए की जानकारियाँ जो हम अपनी बुद्धि में भरते हैं, यह तेल की तरह होनी चाहिए जो ज्वाला जलाने के प्रयोग में लाई जा सके ना की रेत की तरह, जो हमारी आग को बुझा दे
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