man ek bartan nahi hai jise bhara jana hai balki ek jwala hai jise prajwalit kia jana
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इधर इस कहावत में मन का मतलब है दिमाग और हृदय । हृदय और दिमाग आदमी के बहुत खास अंग हैं, जिनके बिना बदन होने का कुछ मतलब ही नहीं है । तब इतनी कीमती चीजें हमें अच्छी तरह से इस्तेमाल करना चाहिए ।
हमारे घर या उध्योग में हम बहुत से बरतन रखते हैं, जो पानी, दूध, रसायन, खाने के पदार्थ रखते हैं। जब जरूरत पड़ती है, तब इस्तेमाल करते हैं । इसका मतलब यह तो नहीं कि बरतन अच्छे चीज नहीं, या ऐसा नहीं करना चाहिए। इसका मतलब यह है कि हमारे दिमाग और हृदय हैं बरतन से अलग ।
बरतन वैसे के वैसे ही रहेंगे और नाश (नष्ट) नहीं होंगे, जब हम घर में डेढ़ सारे चीजें उनमें भरते हैं । उनके आसानी से साफ किया जा सकता है। जोभी उस में है हमारे आंखोंकों दीखता है। तब बरतन की बात हुई आसान।
अब देखेँ दिमाग के बारे में । हम जो भी सीखेँ, देखें, पढ़ें, जानें, पहचानें वह सब दिमाग में जाता है। दिल में भावनाएं उत्पन्न होती हैं। हम अधिकतर ऐसे विषयों पर विचार विमर्श करें जिनसे हमारा कुछ अच्छा हो। तो हमारे मन में बेकार चीजें, विषय, खयाल नहीं जाती हैं। आगर हम फिल्में, टीवी, खेलखूद, दुनिया का समाचार, सामान्य ज्ञान और न जाने जो कुछ होता है इस दुनिया में, इन सब चीजों पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देते हैं तो वो सब दिमाग में बैठ जाते हैं। इस से शायद यह हो सकता है कि जब हमें पढ़ाई के वक्त कुछ विषय पर सोचने में तकलीफ हो सकता है या तो भूल भी सकते हैं । जरूरी विषय जल्दी से याद करने में देर हो सकता है। यह समझ लो कि अगर हम हमारे कमरे में बहुत सारी वस्तु रखते हैं, तो कुछ डूंढ्ने ने में तो कुछ न कुछ तकलीफ होगी न?
जब हम पढ़ते हैं, जो भी समझते हैं, वह सब हमारे दिमाग में भरता है । सोच समझ कर, विश्लेषण करके याद करना है। बिना विश्लेषण के अगर हम रट्टा करते हैं तो फिर परीक्षाओं में सवाल के अनुसार हम जवाब नहीं दे पाते हैं। फिर पढ़ने का फाइदा ही नहीं है । तो पढ़ाई के वख्त उस विषय के बारे में इन सवालों का जवाब समझ लेना चाहिए : क्यों , कब, किस लिए , कौन, किसको, कैसे, कहाँ । इसको तर्क भी कहते हैं।
अपने दिल और दिमाग का इज्जत रखो, खाली बरतन ना समझो । अनितर संरक्षित जमा कक्ष (एक कीमती तिजोरी) समझो । तब तो तीन सीख है इस अनुच्छेद में : 1) दुनिया में बहत कुछ चलता रहता है। उसका मतलब यह नहीं को सब जानें। 2) मन (दिमाग) के अंदर ऐसे विषय लेना चाहिए जो जरूरी हो और जो हमें पता है कि काम आएंगे । और 3) अंदर लेने का तरीका है, तर्क करके, समझ करके फिर याद करना है । ऐसा करने से दिमाग शांत रहता है।
हमारे घर या उध्योग में हम बहुत से बरतन रखते हैं, जो पानी, दूध, रसायन, खाने के पदार्थ रखते हैं। जब जरूरत पड़ती है, तब इस्तेमाल करते हैं । इसका मतलब यह तो नहीं कि बरतन अच्छे चीज नहीं, या ऐसा नहीं करना चाहिए। इसका मतलब यह है कि हमारे दिमाग और हृदय हैं बरतन से अलग ।
बरतन वैसे के वैसे ही रहेंगे और नाश (नष्ट) नहीं होंगे, जब हम घर में डेढ़ सारे चीजें उनमें भरते हैं । उनके आसानी से साफ किया जा सकता है। जोभी उस में है हमारे आंखोंकों दीखता है। तब बरतन की बात हुई आसान।
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जब हम पढ़ते हैं, जो भी समझते हैं, वह सब हमारे दिमाग में भरता है । सोच समझ कर, विश्लेषण करके याद करना है। बिना विश्लेषण के अगर हम रट्टा करते हैं तो फिर परीक्षाओं में सवाल के अनुसार हम जवाब नहीं दे पाते हैं। फिर पढ़ने का फाइदा ही नहीं है । तो पढ़ाई के वख्त उस विषय के बारे में इन सवालों का जवाब समझ लेना चाहिए : क्यों , कब, किस लिए , कौन, किसको, कैसे, कहाँ । इसको तर्क भी कहते हैं।
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