Hindi, asked by nishigarvi, 11 hours ago

मनोबल या मानसिक शक्ति का प्रत्येक व्यक्ति में अंिर पाया जािा है| शरीर िो एक यंत्र हैउिमें कोई

न कोई खराबी होिे रहना स्वाभाववक है| शरीर िूख िकिा है, जल िकिा है, उि पर भौतिक ित्व

अपना प्रभाव डाल िकिे हैं, परंिुमन िो िन को शक्ति प्रदान करिा है| िन थक जािा है, मन उिे

शक्ति देकर पुनः खडा कर देिा है| इिके ववपरीि यदद मन थक जािा हैिो मन उिको प्रयाि करने

के बावजूद भी शक्ति प्रदान नहीं कर िकिा| बबना मन के काम करने में कभी िफलिा नहीं समल

िकिी| महापुरुषों के जीवन चररत्र पढने पर ज्ञाि होिा है कक इन लोगों मे मनोबल अथवा मानसिक

शक्ति प्रबल थी | मुट्ठी भर हड्डडयों को लेकर महात्मा गााँधी ने वह कर ददया जो अिीम शक्ति रखने

वाला व्यक्ति भी नहीं कर िकिा था |

मनुष्य जो भी िफलिा प्राप्ि करिा हैअपनी इच्छाशक्ति और मनोबल के आधार पर करिा है| यदद

मनुष्य का मन मर जािा हैिो उिके सलए िंिार में कुछ नहीं रह जािा| उिे चारों ओर िे तनराशा घेर

लेिी है| जब िक उिकी दहम्मि बनी रहिी हैवह बडे िे बडे िंघषष में भी नहीं घबरािा| जब िक

मनुष्य में धैयष और दहम्मि है, वह आगे बढने का प्रयाि करिा रहिा है| वह शांि होकर नहीं बैठिा |
answer the following question
‘प्रबि’ व ‘ििाब ’ शब्दों में िे उपिगष व प्रत्यय छााँदटए |​

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Answered by Anonymous
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