Hindi, asked by sumangoyal4718, 2 months ago

मन चंगा तो कटौती में गंगा पर विचार vistar लिखें।​

Answers

Answered by piyushmishraaa11
7

Answer:

ऐसा कहते ही रैदासजी ने अपनी वह कठौती उठाई, जिसमें वो चमड़ा गलाते थे, उसमें पानी भरा था। रैदास जी ने मां गंगा का आह्वान कर अपनी कठौती से जल छिड़का, जल छिड़कते ही कठौती में एक वैसा ही कंगन प्रकट हो गया। रैदासजी ने वो कंगन ब्राह्मण को दे दिया। ... तभी से यह कहावत प्रचलित हुई कि 'मन चंगा, तो कठौती में गंगा'

Explanation:

- मन चंगा तो कठौती में गंगा लघु अनुच्छेद संत रविदास का यह वचन एक मार्मिक सत्य का उद्घाटन करता है। मानव के लिए मन की निर्मलता का होना आवश्यक है। जिसका मन निर्मल होता है, उसे बाहरी निर्मलता ओढ़ने या गंगा के स्पर्श से निर्मलता प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

Answered by shradhayadav3011
4

Answer:

hanji btao kya hua

kese ho ap

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