मन की आवाज पर कविता क्लास 8th
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Mind sound is your sound so believe your mind and write the answer
नव प्रभात में, नव जीवन की, नव आशाएं ढूंढ रहा हूँ ,
जीवन पथ पर राही बनकर संघर्षों से जूझ रहा हूँ ;
संशयों के भव सागर में क्यों मैं डोल रहा हूँ ?,
बहुत हो चुका संघर्षों का अब मंजिल को धर रहा हूँ।
मैं 'मन' बोल रहा हूँ।
इस समाज का अभिन्न अंग हूँ, कुरीतियों से आ गया तंग हूँ ,
ऊंच-निच की इस परिपाटी के विपरीत, मैं सभी वर्गों के संग हूँ ;
जानता हूँ यह आसाँ नहीं इतना, फिर भी रार ठाना हूँ,
अब ठानी है कुछ करने की, व्याकुल सपने संजोए रहा हूँ।
मैं 'मन' बोल रहा हूँ।
कभी व्यथित हूँ, कभी चिंतित हूँ, किन्तु मैं जीवित हूँ,
अभिलाषा और विश्वास से परिपूर्ण वर्षण से सिंचित हूँ ;
नहीं रवि-सा तेज मुझ में ,दीपक की भांति निरंतर जल रहा हूँ,
विमलता को अंगीकृत कर नई अंकिता धर रहा हूँ।
मैं 'मन' बोल रहा हूँ।