Hindi, asked by karishma, 3 months ago

मन के भाव ों के आदान - प्रदान के लिए के वि मनुष्य क ही वाणी का वरदान प्राप्त है।

पशु -पक्षी अपने भाव ों क शारीररक मुद्राओों और अन्य सोंके त ों द्वारा प्रकट करते हैं। वाणी

के अनेक रूप हैं , ज भाषा या ब िी कहिाते हैं। सोंसार में इस समय भाषा और ब िी के

तीन हज़ार से भी अलिक रूप प्रचलित हैं। प्रायः सभी स्वतोंत्र देश ों क अपनी - अपनी

भाषाएँ हैं। उनके साथ स्थानीय ब लियाँ भी हैं, ज भाषा का ही प्रादेलशक रूप है। सबसे

अलिक सुगम, सरि और स्वाभालवक भाषा मातृभाषा कहिाती है। यह बािक क उसके

पररवार से सोंस्कार के रूप में लमिती है। अन्य भाषाएँ अलजित ह ती हैं , ज अभ्यास द्वारा

सीखी जाती हैं। अपने घर -पररवार, वगि , जालत और देश के मध्य लवचार ों के आदान –

प्रदान के लिए सबसे सरि भाषा मातृभाषा है। अपनी मातृभाषा द्वारा लजतनी सहजता से

भाव व्यक्त लकये जा सकते हैं , वैसी सहज -सामर्थ्ि लकसी अन्य अलजित भाषा में नहीों ह ती।

लवदेशी शासक जब लकसी देश क जीतकर अपनेशासन मेंिेतेहैं,तब वेसबसेपहिे

लवलजत देश की भाषा के स्थान पर अपनी भाषा क शासन की भाषा बनातेहैं। भाषा के

माध्यम सेलवदेशी शासक अपनी सभ्यता और सोंस्कृ लत की छाप लवलजत देश पर छ ड़तेहैं।

इसलिए प्रत्येक राष्ट्रक अपनी भाषा के प्रय ग के सोंबोंि मेंसाविान रहना चालहए। राष्ट्रकी

एकता और पारस्पररक सौहादिक अक्षुण्ण बनाए रखनेके लिए राष्ट्रभाषा की आवश्यकता

मेंलकसी क सोंदेह नहीोंहै।

1. भाव ों के आदान - प्रदान के लिए वाणी का आदान - प्रदान लकसेप्राप्त है?

2. मातृभाषा लकसेकहतेहैं?

3. िेखक के अनुसार अभ्यास द्वारा सीखी गई अन्य भाषाएँक्या कहिाती हैं?​

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Answered by prasantkhuntia01
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