मन के छंद छूना का अर्थ
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Answer:
मन को छूना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है। अर्थ- मन में सहानुभूति कृतज्ञता आदि का भाव जगाना। प्रयोग- उसकी यह करूण कथा मन को छूने वाली थी।
Answer:
मन के छंद छूना का अर्थ- अपने मन की बात सुनना
Explanation:
मन के छंद छूने से अर्थ है, अपने मनमर्जी का काम करना।
कठपुतलियों का दावा है कि एक लंबा समय हो गया है जब उन्होंने अपने विचारों को छुआ नहीं है, या अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं किया है। वह अपनी खुशी के लिए जीने में असमर्थ थी। इससे उसकी सभी मनोकामनाएं धराशायी हो गईं, फिर भी उसका मानसिक दु:ख बना रहा। उनका जोश खत्म हो गया है।
भवानी प्रसाद मिश्र की कविता "कठपुतली" से इन शब्दों का अर्थ मानसिक पीड़ा से संबंधित है। कठपुतली अपना दुख व्यक्त करती है और दावा करती है कि उसने अपने पूरे जीवन में हमेशा दूसरों के अनुरोध पर प्रदर्शन किया है। वह अब स्वतंत्रता चाहती है, जिसमें अपने दो पैरों पर खड़े होकर बेहिचक नृत्य करने की स्वतंत्रता शामिल है। वह अपनी मर्जी से अपना जीवन जीना चाहती है, जो उसे बांधने वाले बंधनों से मुक्त है। मन के आनंद की चर्चा मन की इस कविता में की गई है। कठपुतलियाँ मानसिक संतुष्टि का अनुभव करने की इच्छा रखती हैं, जो उन्हें धागों को बांधने के बजाय स्वतंत्रता में मिलती है।
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