Hindi, asked by tejraosonwane56, 3 months ago

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।​

Answers

Answered by sarojdevi332024
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Answer:

अर्थात-जीवन में जय और पराजय केवल मन में भाव है। यानी जब हम किसी कार्य के शुरू में ही हार मान लेते हैं कि हम सचमुच में ही हार जाते हैं। लेकिन अपनी मंजिल के लिए जब जूझते हैं, बार-बार गिर कर खड़े होते हैं तो हमारा आत्मविश्वास कई गुना बढ़ जाता है।

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