Hindi, asked by kartik75871, 9 months ago

'मन के हारे हार है, मन के जीते जीत'- इस विचार को आधार बनाते हुए 100-125 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए-

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Please Help Me Friends. Please Give The Correct Answer Of The Question...​

Answers

Answered by shalini1972008
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Answer:

मन बहुत बलवान है। शरीर की सब क्रियाएं मन पर निर्भर करती है। यदि मन में शक्ति, उत्साह और उमंग है तो शरीर भी तेजी से कार्य करता है। अतः व्यक्ति की हार जीत उसके मन की दुर्बलता सबलता पर निर्भर है।

मानव शरीर यदि रथ के समान है तो यह मन उसका चालक है। मनुष्य के शरीर की असली शक्ति उसका मन है। मन के अभाव में शरीर का कोई मूल्य ही नहीं है। मन ही वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य बड़े-बड़े काम करवा लेती है। यदि मन में दुर्बलता का भाव आ जाए तो शक्तिशाली शरीर और विभिन्न प्रकार के साधन भी व्यर्थ हो जाते हैं।

उदाहरण के लिए एक सैनिक को लिया जा सकता है। यदि उसने अपने मन को जीत लिया है तो वह अपनी शारीरिक शक्ति एवं अनुमान से कहीं अधिक सफलता पा सकता है। यदि उसका मन हार गया तो बड़े-बड़े अस्त्र-शस्त्र भी उसके द्वारा अपना प्रभाव नहीं दिखा सकते। मन की शक्ति के बल पर ही मनुष्य ने अनेक आविष्कार किया है। मन की शक्ति मनुष्य को हमेशा साधना की प्रेरणा देती है और जीत भी उसके सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो जाती है। जब तक मन में संकल्प एवं प्रेरणा का भाव नहीं जागता तब तक हम किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। एक ही काम में एक व्यक्ति सफलता प्राप्त कर लेता है और दूसरा असफल हो जाता है। इसका कारण दोनों के मन की शक्ति का अंतर है। दोनों प्रकार के व्यक्तियों के गुणों का यदि अध्ययन करें तो हम पाएँगे कि असफल व्यक्ति प्राय: निराशावादी तथा हीन भावना से ग्रसित होते हैं

ऐसे व्यक्ति कोशिश किए बिना ही पहले ही हार स्वीकार कर लेते हैं । धीरे-धीरे उनमें यह भावना बैठ जाती है कि वे कभी भी जीत नहीं सकते हैं । वहीं दूसरी ओर सफल व्यक्ति हमेशा आशावादी व कर्मवीर होते हैं । वे जीत के लिए हमेशा प्रयास करते हैं ।जब तक हमारा मन शिथिल है तब तक हम कुछ भी नहीं कर सकते।

अतः ठीक ही कहा गया है मन के हारे हार है मन के जीते जीत।

Answered by kukrejahitender75
4

answer of the above question

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