'मन के हारे हार है, मन के जीते जीत'- इस विचार को आधार बनाते हुए 100-125 शब्दों
में अनुच्छेद लिखिए-
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जब तक मन में संकल्प एवं प्रेरणा का भाव नहीं जागता तब तक हम किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। एक ही काम में एक व्यक्ति सफलता प्राप्त कर लेता है और दूसरा असफल हो जाता है। ... जब तक हमारा मन शिथिल है तब तक हम कुछ भी नहीं कर सकते। अतः ठीक ही कहा गया है मन के हारे हार है मन के जीते जीत।
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