Hindi, asked by sharmasanjana44180, 2 months ago

मन के हारे हार है मन के जीते जीत विषय पर लेख लिखो​

Answers

Answered by animish0926
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Answer:

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत॥ अर्थात् दुःख और सुख तो सभी पर पड़ा करते हैं, इसलिए अपना पौरुष मत छोड़ो; क्योंकि हार और जीत तो केवल मन के मानने अथवा न मानने पर ही निर्भर है, अर्थात् मन के द्वारा हार स्वीकार किए जाने पर व्यक्ति की हार सुनिश्चित है।

Answered by Sonam84490
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Answer:

मन के हारे हार है मन के जीते जीत

अथात इस संसार में दु:ख और सुख तो सभी पर पडते है इसलिए मनुष्य को अपना पौरूष नहीं छोडना चाहिए, कयोंकि हार और जीत मन के मानने और ना मानने पर भी निभर

करती हैं जय - पराजय, यश -अपयश दु: ख और हानि - लाभ सब मन के कारण ही है अत : जैसा मनुष्य मन से सोचेगा -

वैसा ही बनेगा

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