Hindi, asked by arnavnagwanshi1, 6 months ago

] मन की मन ही माँझ रही।
कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।
अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।
अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।
चाहति हुती गुहारि जितहिं तैं, उत तें धार बही।
'सूरदास' अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।।esma Kaunsa alankar ha​

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Answered by bhatiamona
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मन की मन ही माँझ रही।

कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।

अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।

अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।

चाहति हुती गुहारि जितहिं तैं, उत तें धार बही।

'सूरदास' अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।।

(अलंकार भेद बतायें)

अलंकार भेद : अनुप्रास अलंकार

स्पष्टीकरण :

इन पंक्तियों में ‘अनुप्रास अलंकार’ है, क्योंकि यहाँ पर ‘म’ वर्ण, ‘क’ वर्ण ‘अ’ एवं ‘ध’ वर्णों की आवृत्ति एक से अधिर बार हुई है।

अनुप्रास अलंकार में किसी काव्य में प्रयुक्त होने वाले शब्दों के प्रथम वर्ग कि यदि समान आवृत्ति हो तो वहां पर अनुप्रास अलंकार होता है. अथवा किसी पूरे शब्द की काव्य में अलग-अलग जगह पर समान अर्थ में आवृत्ति हो तो भी वहां पर अनुप्रास अलंकार होता है |

Answered by ashokkumar37016
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Answer:

anka hindi anuwad sotkt ne chota sa

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